नई दिल्ली। राजीव चौक मैट्रो पर अफ्रीकी मूल के तीन छात्रों पर भीड़ के हमले को गंभीरता से लेते हुए गाबो और बरकीना फासो के राजदूतों ने भारतीय विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने इस घटना पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से मांग की है कि इस मामले की जांच में पुलिस के साथ सहयोग करे। रविवार को हुई इस घटना में उत्पातियों ने अफ्रीकी मूल के तीन युवाओं को नाइजीरियाई बताकर पीटा था। इस हमले में इन युवकों को गंभीर चोटें आई हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस हमलावरों की तलाश कर रही है।

गाबों के राजदूत डिजाइर कोउंबा ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने और बरकीना फासो केराजदूत इदरिस राउआ ओइदरागो ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर युवाओं पर हुए हमले की इस घटना पर गहरी चिंता जताई है और कहा है कि प्रशासन मामले की जांच के लिए त्वरित कार्रवाई करे।

पिछले रविवार को तीन युवकों गाबो के मापगा (22),योहान (22) और बरकीना फासो के गोइरा (20) को राजीव चौक मैट्रो स्टेशन में भीड़ ने बेरहमी से पीटा था। पुलिस की मौजूदगी पर इन लोगों पर हमला किया गया। इन लोगों ने किसी तरह एक पुलिस बूथ में घुसकर जान बचाई। लेकिन भीड़ ने वहां भी घुसकर हमला किया। हमालवरों ने बूथ को तोड़ दिया। मापगा के पांव में काट खाने के निशान पड़े हैं। लोगों ने इन तीनों युवकों पर छड़ों और कुर्सियों से हमला किया। इन लोगों के सिर और हाथ में चोटें आईं हैं। अभी तक कोई हमलावर गिरफ्तार नहीं किया गया है, जबरि सारी वारदात यू ट्यूब में कैद हो गई है। पुलिस ने इस सिलसिले में दंगा करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया है।

बुधवार को हमले के शिकार हुए युवकों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि उन्होंने मैट्रो पर चढ़ते समय लड़कियों पर भद्दी टिप्पणियां कीं और भीड़ को हमले के लिए उकसाया। उन्होंने बताया कि घटना की शुरुआत तब हुइ, जब उन्होंने गौर किया कि तीन लोग मोबाइल से उनका फोटो खींच रहे हैं। मापगा ने बताया कि उसने इस हरकत पर आपत्ति की। शारदा यूनिवसर््िाटी में बीबीए के छात्र मापगा ने बताया कि वे लोग उनका मजाक उड़ा रहे थे। हमारे एतराज करने पर उन लोगों ने कहा कि कोई फोटो नहीं खींची गई। इसके बाद जब हम लोग मैट्रो से निकलने को हुए, उन्होंने हमें घूरकर देखा और भद्दे हावभाव दिखाए। इस पर मेरे भाई योहान को गुस्सा आ गया और उसने कहा कि तुम लोग हमें क्यों परेशान कर रहे हो। इस पर तीनों ने उसे धक्का देकर गिरा दिया। एक पुलिस अधिकारी वहां खड़ा था।

इन युवकों का कहना है कि इसके बाद प्लेटफार्म में उनकी इन युवकों से हाथापाई हुई। झगड़े के दौरान पुलिस उन छह लोगों को बूथ में ले गई। तीनों छात्रों का कहना है कि वे पुलिस और तीनों हमलावरों के बीच हो रही बातचीत को नहीं समझ पा रहे थे क्योंकि वे हिंदी में बात कर रहे थे। एनआइआइटी के छात्र गुइरा ने बताया कि वे लोग पुलिस के सामने हमें नाइजीरियन-नाइजीरियन कहकर चिल्ला रहे थे। हम लोगों ने बताया कि वे नाइजीरियन नहीं हैं। उसी समय बूथ के बाहर भीड़ जमा हो गई। वहां एक ही पुलिस वाला था। वे लोग बूथ को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे और हम लोगों से बाहर निकलने को कह रहे थे। इसके बाद वह पुलिस वाला निकल गया। उसने हिंदी में भीड़ से कुछ कहा। गुस्साए लोग बूथ तोड़कर घुस आए और हमें मारना शुरू कर दिया। गुइरा के हाथ और सिर में चोट आई है।

एमिटी में बीसीए का छात्र योहान उस दिन की घटना को याद कर दहल जाता है। उसने बताया कि लोगों से बचने के लिए उसने बूथ को अंदर से बंदकर लिया। लेकिन उन्होंने कुर्सी-मेज चलाकर तोड़फोड़ की और बूथ में घुस आए। पास से गुजरने वालों ने भी हमें पीटा। यू ट्यूब में डाले गए वीडियो में दिखता है कि भीड़ हमें छड़ों से पीट रही है और कुर्सियां चला रही है। योहान ने आरोप लगाया कि जब उसने मदद मांगी तो एक पुलिस वाले ने उसे बूथ के अंदर ढकेल दिया।

मापगा ने बताया कि वह खुद को बचाने के लिए बूथ की छत पर चढ़ गया था। उसने दिखाया कि किस तरह उसके पैर में काटने के निशान हैं। मेरे हाथ से खून निकल रहा था। वे लोग हमें थप्पड़ मार रहे थे। हमने हाथ जोड़कर कहा कि हम लोग छात्र हैं। पर वे नहीं माने और हमें पीटते रहे। जब उन्होंने हमारे सिर से खून निकलते देखा तो पीटना बंद किया। इसके बाद मौके पर आई पुलिस ने घेरा बनाकर हमें बचाया और भीड़ को भगाया। इसके बाद तीनों युवकों को इलाज के लिए राममनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया।

गुइरा ने कहा कि इस घटना से वे इतने आतंकित हैं कि मैट्रो पर चढ़ने से पहले एक बार सोचेंगे। हमें यहां रोज परेशान किया जाता है। अपनी त्वचा के रंग के कारण हमें लगातार अपमानित होना पड़ता है। लोग हम पर हंसते हैं। हमें ‘कल्लू’ कहकर ताना मारते हैं। इन छात्रों ने कहा कि वे यहां पढ़ने आए हैं। लेकिन यहां जान बचानी पड़ रही है।