जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के मुखिया यासीन मलिक कथित रूप से पाकिस्तान से संपर्क थे। यासीन को घाटी में अशांति फैलाने के लिए इस्लामाबाद से पैसे भी मिले। इतना ही नहीं यासीन ने इन सब से 15 करोड़ रुपये की संपत्ति भी अर्जित की। ये बातें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपनी रिपोर्ट में कही हैं।

एनआईए मलिक समेत अन्य कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले की जांच कर रही है। मलिक के वकील रजा तुफैल ने इन आरोपों से इनकार किया है। तुफैल ने संडे एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यह सब मलिक की छवि को धूमिल करने की कवायद है।

तुफैल ने कहा, ‘उन्होंने हर सबूत खोजे और कई संपत्तियों को उनसे जोड़ा लेकिन असफल रहे। आप उनके घर जाएं तो आपको पता चल जाएगा।’ तुफैल ने कहा कि जिस आदमी के पास इतनी संपत्ति होगी उसके पास कम से कम कश्मीर में एक अच्छा 2बीएचके होना चाहिए।

एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में कश्मीरी बिजनेसमैन जहूर अहमद शाह वटाली व दर्जनभर अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। इन लोगों पर हवाला के जरिये पाकिस्तान से पैसे लेने का आरोप है। इसमें लश्कर-ए-तोयबा जैसे आतंकी संगठन भी शामिल हैं।

अपनी रिपोर्ट में एनआईए ने दावा किया है कि अकाउंट बुक से पता चला कि वटाली ने पाकिस्तान उच्चायोग, हाफिज सईद व अन्य से पैसे लिए। रिपोर्ट में आरोप  है कि जब्त किए गए अन्य दस्तावेजों में सामने आया है कि जम्मू और कश्मीर में अलगाववादियों को पैसे बांटे गए। पैसे हासिल करने वालों में यासीन मलिक भी शामिल है।

एनआईए का कहना है मलिक को 7 अप्रैल 2015 को वटाली से 15 लाख रुपये मिले। इन पैसों में से कुछ का प्रयोग साल 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में अशांति फैलाने के लिए किया गया। इन आरोपों पर वकील तुफैल ने कहा, ‘इस पूरी लेनदेन में यासीन मलिक सिर्फ गवाह थे।

वटाली ने यह पैसे किसी अन्य को दिए थे और मलिक इसके एक गवाह भर थे। यह लेनदेन मलिक की मौजूदगी में हुई थी। यह बात मलिक ने एनआईए को बता दी थी।’ एनआईए ने यह भी आरोप लगाया है मलिक और उसके सहयोगियों ने नियंत्रण रेखा व्यापार के जरिये पैसे जुटाए। इस बात के चार गवाह भी मौजूद है। एजेंसी ने श्रीनगर में मलिक के स्वामित्व वाली 12 संपत्तियों को लिस्ट किया है।