राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) ने नगा उग्रवादी समूह एनएससीएन (के) के एक मुख्य सदस्य को गिरफ्तार किया है। इस पर चार जून को मणिपुर में हमला कर 18 सैनिकों की हत्या का षड्यंत्र रचने का आरोप है। घटना की जांच में यह पहली सफलता है।

एनआइए ने सोमवार को बताया कि एनएससीएन (के) का क्षेत्रीय कमांडर खुमलो अबी अनल मणिपुर के चंदेल इलाके में चार जून को सेना पर हमले का षड्यंत्र रचने वालों में शामिल था। आरोपी को एनआइए के विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया जिन्होंने उसे सात जुलाई तक एजंसी के रिमांड में भेज दिया।

हमले के कुछ दिन बाद ही मामले की जांच एनआइए को सौंप दी गई थी। इसमें पहली सफलता मिली है। जांच एजंसी ने घटनास्थल पर उपमहानिरीक्षक के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम तैनात की थी। अनल के बारे में अधिकारियों ने कहा कि हमले के बाद चार जून की हत्या में अपनी भूमिका से बचने के लिए उसने दूसरे मामले में खुद को गिरफ्तार करा लिया। जांच के दौरान उसकी भूमिका सामने आने लगी। इसके बाद एनआइए के अधिकारियों ने उससे लगातार पूछताछ की। अंतत: वह टूट गया और षड्यंत्र का हिस्सा होने की बात स्वीकार कर ली।

एनआइए अधिकारियों ने कहा कि हमले में एनएससीएन (के) के 23 सदस्यों ने शिरकत की थी। इसमें से दो घटना में मारे गए थे। एनआइए ने शेष 21 में से 14 एनएससीएन (के) के सदस्यों की पहचान की है, जिन्होंने घात लगाकर हमला किया था। उन्होंने कहा कि उग्रवादी तीन समूहों में आकर हमले को अंजाम दिया था। जांच के दौरान एनआइए ने एनएससीएन (के) के आत्मसमर्पण कर चुके कई उग्रवादियों से पूछताछ की जिन्होंने मामले में आरोपी की पहचान में मदद की।

इसके जवाब में सटीक हमले में भारतीय सेना के कमांडो ने नगालैंड और मणिपुर की म्यांमार की सीमा के साथ लगते दो स्थानों पर उग्रवादियों के दो शिविरों पर हमले किए। इसमें उग्रवादियों को काफी क्षति उठानी पड़ी। चार जून के हमले के बाद सेना ने भारत-म्यांमार की सीमा पर स्थित एनएससीएन (के) के शिविरों पर सटीक हमले किए थे।

उन्होंने कहा कि यह गौर किया गया कि उग्रवादी हमले के लिए सीमा पार कर आते हैं और हमला कर वापस लौट जाते हैं। एनएससीएन (के) ने मार्च में संघर्ष विराम संधि से अलग होने के बाद कुछ अन्य उग्रवादी समूहों के साथ मिलकर ‘यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आॅफ साउथ ईस्ट एशिया’ के बैनर तले कई हमले किए हैं।