कुख्यात आतंकवादी संगठन आइएसआइएस के कथित एजंट अरीब मजीद की गतिविधियों की जांच के मद्देनजर राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) ने अमेरिका सहित अन्य देशों को साइबर सबूतों के लिए अनुरोध भेजे हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि एनआइए ने अमेरिका, कनाडा और आॅस्ट्रेलिया के अधिकारियों से परस्पर कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत साइबर सबूत मुहैया कराने के लिए संपर्क किया है। एनआइए को मजीद के बयान में लगातार खामियां नजर आ रही हैं और एजंसी दूसरे देशों से सबूत इकट्ठे करने के बाद अपने रुख पर कायम है।

मजीद ने दावा किया था कि वह आइएसआइएस में रहते हुए कभी आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं हुआ था।

सूत्रों ने कहा कि साइबर-आतंकवाद से जुड़े मामलों में सहयोगी भूमिका निभाने वाला अमेरिका पहले ही उस इंटरनेट प्रोटोकॉल पते के सबूत दे चुका है जिसका इस्तेमाल मजीद ने कथित तौर पर संगठन का हिस्सा बनने से पहले किया था। अमेरिका मजीद द्वारा मध्य प्रदेश के एक शख्स सहित कुछ लोगों को भेजे गए मेल के साक्ष्य भी मुहैया करा चुका है। समझा जाता है कि मध्य प्रदेश के उस शख्स ने आइएसआइएस में शामिल होने के लिहाज से मजीद की विदेश यात्रा के लिए आर्थिक मदद की थी।

सूत्रों के अनुसार एनआइए मामले को मजबूत करने के लिए इराक और सीरिया को अनुरोध पत्र (एलआर) भेजने की भी योजना बना रही है, क्योंकि मुंबई के कल्याण इलाके के रहने वाले 23 वर्षीय मजीद का पासपोर्ट इराक में उसके प्रवेश और सीरिया से उसके निकलने की बात दर्शाता है। सूत्रों के मुताबिक इन दोनों देशों को राजनयिक माध्यमों से अनुरोध पत्र भेजे गए थे और इन दोनों की सरकारें जल्द ही इन पर अमल कर सकती हैं।

एनआइए को जांच के दौरान पता चला कि मजीद को कुवैत से कुछ आर्थिक सहायता मिली थी और एजंसी कुवैत को एमएलएटी भेज कर उसके खाते में धन भेजने वाले शख्स के बारे में जानकारी मांगने की तैयारी कर रही है।

मजीद को एनआइए ने पिछले साल नवंबर के आखिरी सप्ताह में इराक से लौटने के दौरान गिरफ्तार किया था और उस पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं 16, 18 और 20 और भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के तहत मामला दर्ज किया गया था। यूएपीए की उक्त तीनों धाराएं किसी आतंकवादी संगठन का सदस्य होते हुए कोई आतंकवादी कृत्य करने या उसकी साजिश रचने से जुड़ी हैं, वहीं आइपीसी की धारा 125 किसी देश के खिलाफ जंग छेड़ने के अपराध से जुड़ी है।

मजीद इराक में करीब छह महीने गुजारने के बाद 28 नवंबर को मुंबई पहुंचा था। उसे मुंबई में उतरते ही फौरन सुरक्षा एजंसियों ने हिरासत में ले लिया और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। मजीद सहितत कल्याण के चार युवक इस साल मई में पश्चिम एशिया में पवित्र स्थलों की यात्रा करने के नाम पर देश से रवाना हुए थे, लेकिन बाद में वे लापता हो गये। उनके आइएसआइएस में शामिल होने का संदेह था।

पुलिस के मुताबिक इंजीनियरिंग के चारों विद्यार्थी 23 मई को इराक के धार्मिक स्थलों की यात्रा करने के लिए रवाना हुए 22 तीर्थयात्रियों के समूह में शामिल होकर बगदाद गए थे।