सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 26 सितंबर को भी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 2003 की रिपोर्ट का सारांश लिखने वाले व्यक्ति को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद पलटी मारी और इस मामले में कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए उससे माफी मांगी। एएसआई की रिपोर्ट में कहा गया था कि बाबरी मस्जिद के पहले वहां विशाल ढांचा मौजूद था। वहीं इस दलील को सुनने के बाद बेंच ने एकबार फिर दोहराया कि सभी पक्षों की दलीलें 18 अक्टूबर तक पूरा हो जाना चाहिए, क्योंकि उसके बाद एक दिन भी अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा।

वहीं न्यूज 18 चैनल के लाइव डिबेट शो ‘आर पार’ में जब इस मुद्दे पर चर्चा की गई तो दो पैनलिस्ट्स के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं हुई। अध्यातमिक गुरु स्वामी दीपांकर और मुस्लिम चिंतक अतीक उर रहमान ने इस दौरान एक दूसरे पर कई जुबानी हमले किए। इस दौरान स्वामी दीपांकर ने मुस्लिम पैनलिस्ट के व्हाट नॉनसेंस (What Nonsense) बोलने पर उन्हें जमकर लताड़ लगाई। दरअसल मुस्लिम चिंतक ने डिबेट के दौरान कहा कि राम मंदिर में मूर्तियां इंसानों द्वारा रखी गई थी और ये क्या नॉनसेंस है। मैं भी वहां पर मूर्तियां रख सकता हूं।’

अतीक उर रहमान की इस टिप्पणी पर अध्यातमिक गुरु स्वामी दीपांकर पलटवार करते हुए कहते हैं ‘मैं आपकी घोर निंदा करता हूं। आपने राम के प्रतिमा के साथ ये किस तरह के शब्दों का प्रयोग किया। ये व्हाट नॉनसेंस क्या शब्द होता है। आप मूर्ति को किसी भी जगह रखिए इससे क्या फर्क पड़ता है लेकिन आप भगवान राम के साथ ऐसे शब्दों को कैसे जोड़ सकते हैं? आप किसी की भावनाओं का अनादर कैसे कर सकते हैं। आप बहस करो ये अच्छी बात है लेकिन किसी देश के अराध्य को आप व्हाट नॉनसेंस जैसे शब्दों से जोड़ रहे हैं। आपको पूरे देश से माफी मांगनी होगी।’

इस पर अतीक उर रहमान कहते हैं ‘हमने राम को इमाम-ए-हिंद का खिताब दिया है। आप लोगों को गुमराह मत कीजिए। आप यहां पर बैठकर बिना वजह भड़ाकाऊ भाषण मत दीजिए क्योंकि यहां पर कोई भी आपकी बातों में नहीं आने वाला। आपने जनता को बहुत गुमराह कर लिया। आप मुंह में राम बगल में छुरी रखते हैं। देखिए डिबेट में आगे क्या हुआ: –