UN Population Fund की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत इस साल तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। अनुमान के मुताबिक, उस समय तक भारत की जनसंख्या 142.8 करोड़ हो जाएगी। चूंकि, 2021 की जनगणना को कोविड महामारी के कारण स्थगित करना पड़ा था ऐसे में जनगणना कोविड महामारी खत्म होने और स्थिति सामान्य होने के बाद भी पेंडिंग है।

जनगणना में पूछे जाएंगे ऐसे सवाल

जब 2021 की रुकी हुई जनगणना आखिरकार फिर से शुरू हो जाएगी तो कुछ नए प्रश्न हैं जिन पर डेटा एकत्र किया जाएगा। ये सवाल है, ‘क्या पैकेज्ड या बोतलबंद पानी आपके घर में पीने के पानी के मुख्य स्रोतों में से एक है?’ ‘क्या आपकी रसोई में एलपीजी या पीएनजी कनेक्शन है?’ घर में कितने स्मार्टफोन या डीटीएच कनेक्शन हैं? आपके परिवार द्वारा उपभोग किया जाने वाला मुख्य अनाज क्या है?

जनगणना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जनगणना कार्यालय को हाल ही में अपना नया भवन-जनगणना भवन मिल गया। नए ऑफिस स्पेस का उद्घाटन गृहमंत्री अमित शाह ने किया। पिछले हफ्ते ही जनगणना कार्यालय ने अपने संचालन के 150वें वर्ष पूरे होने पर 1981 से भारत की जनगणना अभ्यास पर एक विस्तृत दस्तावेज जारी किया। इसमें 2021 की जनगणना पर भी एक अध्याय है जो महामारी के कारण होने वाली रुकावट को दर्शाता है लेकिन कहता है कि ब्रेक अन्य तरीकों से मददगार हो सकता है।

धर्म पर जनगणना में हैं छह विकल्प

प्रकाशन में पिछली चार जनगणना के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल है। इसमें 2021 की जनगणना के लिए की जा रही तैयारियों पर एक अध्याय भी है, जिसमें पहली बार एकत्र की जाने वाली जानकारी भी शामिल है। धर्म पर प्रश्न में छह विकल्प हैं – हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन। इसमें कहा गया है कि अन्य धर्मों के लिए धर्म का पूरा नाम लिखें लेकिन कोई कोड नंबर न दें।

कोविड के कारण 2021 में नहीं हो सकी जनगणना

हाउस-लिस्टिंग अभ्यास जो जनगणना का पहला भाग है और जनगणना से पहले के वर्ष में किया जाता है 1 अप्रैल, 2020 को शुरू होने ही वाला था, जब कोविड महामारी आ गयी। मार्च 2020 में भारत में कोरोनावायरस के मामले सामने आने लगे और 24 मार्च 2020 को पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया, जिससे जनगणना को रोक दिया गया।

2021 की जनगणना डिजिटली होनी थी, हालांकि बाद में डेटा एकत्र करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के साथ-साथ पारंपरिक कागजी रूपों का उपयोग करने का निर्णय लिया गया।

भारत में जनगणना संवैधानिक रूप से अनिवार्य

भारत में जनगणना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है लेकिन संविधान यह नहीं कहता कि जनगणना कब की जानी चाहिए या कितने अंतराल पर होनी चाहिए। 1948 के भारतीय जनगणना अधिनियम में भी इसके समय या अंतराल का उल्लेख नहीं है। ऐसे में कोई संवैधानिक या कानूनी बाध्यता नहीं है कि हर 10 साल में जनगणना की जानी चाहिए। हालांकि, यह कवायद 1881 के बाद से हर 10 साल में की जाती है।