मोदी सरकार ने सोशल मीडिया और ई-मेल से होने वाली बातचीत पर नजर रखने के लिए ‘न्‍यू मीडिया कमांड रूम’ बनाने की तैयारी में जुटी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसके लिए अप्रैल में टेंडर भी निकाल चुका है। अब कांग्रेस ने इस पर हमला बोला है। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और राज्‍यसभा सदस्‍य अभिषेक मनु सिंघवी ने तीखा वार किया है। उन्‍होंने प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी टेंडर का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए 42 करोड़ रुपये का सॉफ्टवेयर खरीद रही है। सिंघवी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इसके जरिये लोगों के निजी जीवन में ताक-झांक करने की जुगत में जुटी है। उन्‍होंने सवाल उठाया कि सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म और ई-मेल के जरिये लोगों की निजी जानकारी हासिल करने के लिए सॉफ्टवेयर खरीदने से पहले निजता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले पर विचार किया गया था या नहीं। सिंघवी ने सरकार से सवाल पूछा कि सोशल मीडिया कम्‍यूनिकेशन हब के नाम से टेंडर क्‍यों निकाला गया और यह स्‍पष्‍ट क्‍यों नहीं किया गया कि यूजर का डेटा इनक्रिप्‍टेड ही रहेगा? लोगों का निजी डेटा हासिल करने के लिए सुरक्षा के क्‍या उपाय किए गए हैं? सिंघवी ने तीसरा सवाल पूछा कि निविदा आमंत्रित करने से पहले क्‍या सभी संबंधित पक्षकारों से विचार-विमर्श किया गया था? उन्‍होंने चौथा सवाल उठाया कि बातचीत को आर्काइव करने के लिए डेटा सुरक्षा की क्‍या व्‍यवस्‍था की गई है?

समाचार एजेंसी ‘ब्‍लूमबर्ग’ के अनुसार, मोदी सरकार ने सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए न्‍यू मीडिया कमांड रूम बनाने की तैयारी में है। इस बाबत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से 25 अप्रैल को ऑनलाइन निविदा आमंत्रित की गई थी। इसमें ऐसी कंपनी की जरूरत बताई गई थी जो एनालिटिक्‍स सॉफ्टवेयर के अलावा 20 विशेषज्ञों की ऐसी टीम मुहैया करा सके जो रियल टाइम में कमांड रूम के लिए काम कर सके। निविदा में मीडिया कमांड रूम के उद्देश्‍यों के बारे में भी जानकारी दी गई थी। इसमें कहा गया था कि इसके माध्‍यम से सोशल नेटवर्किंग साइटों और ई-मेल पर होने वाली बातचीत के जरिये लोगों की भावनाओं का पता लगाया जाएगा। साथ ही फेक न्‍यूज की पहचान कर सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर भारत समर्थक सूचनाओं का प्रचार प्रसार किया जाएगा।