करोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए इलाकों को अलग-थलग करना, लोगों को घरों तक सीमित करना- यानी व्यक्ति और व्यक्ति के बीच संपर्क रोकने के तमाम उपायों की कवायद चल रही है। इसमें एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में श्रम क्षेत्र में बड़े संकट के आहट की ओर इशारा किया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने कोविड-19 को लेकर रिपोर्ट तैयार की है, जिसका नाम है कोविड-19 एंड वर्ल्ड आफ वर्क : इंपैक्ट एंड रेस्पांस’। इस रिपोर्ट के आधार पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) ने तमाम देशों की सरकारों को परामर्श दिया है कि वे नौकरी करने वाले सभी को सुरक्षा का भरोसा दें, कर्मक्षेत्र के लिए आर्थिक नीतियां और नौकरी एवं आमदनी के उपायों को बचाने के उपाय करें।
आइएलओ का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण सिर्फ एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट नहीं रहा, बल्कि यह श्रम क्षेत्र और अर्थव्यवस्था का भी बड़ा संकट बन गया है। इस कारण नौकरियों में असुरक्षा बढ़ने का खतरा है। कोरोना की वजह से काम के घंटे कम किए जाएंगे। इसका असर वेतन पर भी पड़ सकता है। विकासशील देशों में स्वरोजगार इन बदलावों को कम करने का काम करते हैं, लेकिन पाबंदियों के कारण असर नहीं होगा। भारत में नागरिक उड्डययन, पर्यटन, खुदरा क्षेत्र जैसे तमाम क्षेत्रों में कोरोना की वजह से असर पड़ा है।
भारत में फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, ग्रीस, इटली, स्पेन, आइसलैंड, हंगरी, पोलैंड, आयरलैंड, फिनलैंड आॅस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गेरिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक रिपब्लिक, डेनमार्क, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, रोमानिया समेत 36 देशों से किसी भी यात्री के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
संक्रमण के डर और सरकार के परामर्श के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं, जिससे होटल और रेस्तरां का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। फेडरेशन फॉर एसोसिएशन इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पीटेलिटी के पदाधिकारियों का कहना है कि पांच लाख करोड़ रुपए के इस उद्योग पर असर पड़ने लगा है। इस उद्योग में ट्रेवल एजंट, टूर आपरेटर, टूरिस्ट टैक्सी, गाइड, दुकानें, रेस्तरां में काम करने वाले कर्मचारियों समेत कई के रोजगार पर संकट है।
ऐसे लोग 60 से 70 फीसद हैं। इस उद्योग के लोगों ने कई देशों सरकारों से वित्तीय मदद की मांग की है। कई देशों ने मदद शुरू की है। भारत में बैंक कर्ज की ईएमआइ में छूट, आयकर, जीएसटी, आबकारी, लाइसेंस में छूट की मांग और सुझाव सरकार को भेजे गए हैं।
उड्डययन क्षेत्र में भारत एअर इंडिया समेत तमाम कंपनियों को छह हजार लाख करोड़ के नुकसान का आकलन है। उड्डययन क्षेत्र की संस्था सेंटर फॉर एविशन का कहना है कि सरकार अगर कोई कदम नहीं उठाती है तो कई भारतीय एअरलाइन नकदी संकट से जूझेंगे और कई को मई या जून तक बंद करना होगा।
आइएलओ के मुताबिक, कुछ समूहों पर नौकरियां जाने का बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा, जिससे असमानता की खाई और बढ़ेगी। इनमें वे लोग ज्यादा होंगे, जो पहले से ही कम सुरक्षित हैं और कम वेतन पर काम करते हैं।
अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजंसी ‘फिच रेटिंग’ के मुताबिक, कोरोना का संकट वैश्विक जीडीपी को नुकसान पहुंचा रहा है। फिच रेटिंग्स ने 2020-21 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 5.6 फीसद से घटाकर 5.1 फीसद कर दिया है।
फिच का कहना है कि कोरोना के प्रकोप से निवेश और निर्यात प्रभावित होगा। हालांकि, आइएलओ का कहना है कि अगर 2008-09 के वैश्विक आर्थिक संकट की तरह ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतियां बनाई जाएं तो वैश्विक बेरोजगारी के असर को कम किया जा सकता है। इसके लिए कई कदम उठाने होंगे। इनमें सामाजिक सुरक्षा बढ़ाना, वेतन के साथ छुट्टी देना, सरकारों के लारा सूक्ष्म और छोटे उद्योगों को आर्थिक सहयोग एवं करों में राहत के कदम शामिल हैं।