भारत ने एक बार फिर साफ किया है कि वह रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को एक टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में यह बड़ा बयान दिया। पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब भारत पर एडिशनल 25% टैरिफ लगाया था तो इसके पीछे यही वजह बताई थी कि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है और इसलिए उस पर पेनल्टी लगाई है। भारत अमेरिका के द्वारा लगाए गए कुल 50% टैरिफ का सामना कर रहा है।

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की तेल खरीद पूरी तरह आर्थिक और व्यावसायिक कारणों पर आधारित है।

वित्त मंत्री ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए 50% टैरिफ के असर को केंद्र सरकार के द्वारा जीएसटी सुधार की दिशा में उठाए गए कदमों से कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उन लोगों की मदद के लिए भी कदम उठाने जा रही है, जिन्हें अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ की ऊंची दरों से नुकसान हो रहा है।

जब तक फायदा होगा, रूस से तेल की हर बूंद खरीदेंगे

वित्त मंत्री ने कहा, “चाहे रूसी तेल हो या कुछ और, यह हमारा फैसला है कि हम उस जगह से खरीदें जो हमारी जरूरतों के अनुकूल हो, चाहे वह दरों, लॉजिस्टिक्स या फिर किसी भी मामले में हो। इसलिए, हम अपना तेल कहां से खरीदते हैं, इसके लिए हमें वही जगह चुननी होगी जो हमारे लिए सबसे अच्छी हो क्योंकि हम इसके लिए बहुत ज्यादा भुगतान करते हैं। हम इसे खरीदते रहेंगे।”

भारत अमेरिका के द्वारा लगाए गए टैरिफ को कई बार गलत बता चुका है। भारत ने कहा था कि अमेरिका ने ही भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रेरित किया था।

भारत सरकार स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि जहां से उसे सबसे अच्छी डील मिलेगी, वह वहीं से तेल खरीदेगी। बशर्ते उस पर किसी किसी तरह का कोई प्रतिबंध न हो। भारत की सरकारी तेल कंपनियों को अब तक सरकार की ओर से रूस से तेल के आयात को लेकर किसी तरह का कोई निर्देश नहीं मिला है।

अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत

भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी लगभग 88 प्रतिशत जरूरतों को आयात से पूरा करता है। रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से पिछले तीन सालों में भारत ने अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत की है।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि रूस पर दबाव बनाने और यूक्रेन युद्ध खत्म करने का एक जरिया भारत पर टैरिफ लगाना है क्योंकि कच्चे तेल की खरीद से होने वाली कमाई ही रूस की आय का बड़ा जरिया है। भारत तेल खरीद के मामले में चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक है।

रूस से तेल की हर बूंद खरीदेंगे…

कुछ दिन पहले ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने कहा था कि अमेरिकी टैरिफ के बावजूद रूस से तेल आयात रोकने को लेकर कंपनी पर कोई दबाव नहीं है। उन्होंने कहा था कि ONGC समूह की रिफाइनरियां रूस से कच्चा तेल खरीदना तब तक जारी रखेंगी, जब तक इसे आर्थिक और कारोबारी रूप से फायदा होता रहेगा।

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अरुण कुमार सिंह ने कहा था कि जब तक यह फायदे का सौदा रहेगा, हम बाजार में आने वाली (रूसी तेल की) हर बूंद खरीदेंगे।

भारत ने साफ किया स्टैंड

अमेरिका के द्वारा रूस से कच्चा तेल न खरीदने का दबाव बनाए जाने के बाद भी भारत अपनी बात पर अडिग है। केंद्र सरकार कई मौकों पर स्पष्ट कर चुकी है कि वह देश के हितों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। भारत ने ऐसा ही ट्रेड डील के मामले में भी किया है और कहा है कि देश के पशुपालकों, किसानों और मछुआरों के हितों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।

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