मोदी सरकार चार नए लेबर कोड लागू करने की तैयारी कर रही है। लेकिन इनमें से दो लेबर कोड के कुछ प्रावधानों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मजदूरी पर संहिता और समाजिक सुरक्षा पर संहिता को लेकर कंपनियों और उद्योग प्रतिनिधियों के बीच चिंता पैदा हो गई है।
मूल वेतन को कुल वेतन के 50 प्रतिशत पर सीमित करने के लिए मजदूरी संहिता में एक प्रस्तावित प्रावधान, जो प्रभावी रूप से टेक-होम वेतन को कम करता है, लेकिन कर्मचारी भविष्य निधि जैसे सामाजिक सुरक्षा घटकों के लिए योगदान बढ़ाता है। इस प्रस्ताव पर सरकार विचार कर रही है। संहिता में प्रस्तावित मजदूरी की परिभाषा में बदलाव के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय को अवगत करा दिए गए हैं और उन इनपुट्स को ध्यान में रखा जा रहा है।
वहीं सोशल सिक्योरिटी की संहिता हो लेकर भी पेंच फंसा हुआ है। श्रम मंत्रालय ने गिग और प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर्स के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की हैं, जिन्होंने टर्नओवर की परिभाषा को फिर से परिभाषित करने के लिए जोर दिया है। द कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी के अनुसार, गिग वर्कर्स को नियोजित करने वाले एग्रीगेटर्स को सामाजिक सुरक्षा के लिए वार्षिक टर्नओवर का 1-2 प्रतिशत योगदान देना होता है, जिसमें कुल योगदान एग्रीगेटर द्वारा दी गई राशि के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अगर वेतन प्रावधान जैसे मुद्दे हैं, तो हम पुनर्विचार के लिए तैयार हैं कि क्या भत्ते 50 प्रतिशत से अधिक हो सकते हैं। कुछ कह रहे हैं कि प्रोत्साहन और बोनस दिया जाता है। ऐसे में उन पर नजर रखी जा रही है। चिंताओं को सुलझाया जाना चाहिए और हम सभी मुद्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, “वे कह रहे हैं कि उनके टर्नओवर में सिर्फ गिग वर्कर शामिल नहीं हैं। उनके पास वेयरहाउसिंग के लिए, डिलीवरी के लिए, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म चलाने वाले कर्मचारी हैं। इसलिए उन्होंने कहा कि टर्नओवर को एक करके नहीं देखा जा सकता है। इसलिए हमने उनसे विस्तृत जानकारी देने को कहा है और हम मुद्दों को सुलझाने के लिए तैयार हैं।”