दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गोद लिया परिवार अब नई दिल्ली के बेहद पॉश और उच्च सुरक्षा व्यवस्था वाले लुटियंस जोन स्थित आलीशान बंगले में नहीं रहेगा। उनकी दत्तक पुत्री नमिता भर्टाचार्य ने इसके साथ ही स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) कमांडोज वाली सुरक्षा भी छोड़ दी है। उन्होंने इन दोनों चीजों के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा है कि वाजपेयी को आवंटित किया गया 6-ए, कृष्णा मेनन मार्ग स्थित बंगला छोड़कर वे लोग अपने निजी आवास पर जाना चाहते हैं।

बता दें कि पूर्व पीएम और उनके परिजन को खतरे-जोखिम के आधार पर केंद्र सरकार सुरक्षा मुहैया कराती है। सरकार यह जानने किले हर साल समीक्षा भी कराती है, जिसके बाद एसपीजी व अन्य प्रकार की सुरक्षा देने का निर्णय किया जाता है। वाजयेपी के परिवार में उनकी दत्तक पुत्री नमिता, उनके पति रंजन भट्टाचार्य व उनकी बेटी निहारिका हैं।

2004 में वाजपेयी का कार्यकाल पूरा के बाद से वे तीनों उनके साथ यहीं रह रहे थे। यहां तक कि रंजन पीएमओ में वाजपेजी के (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) ओएसडी के तौर पर काम भी कर चुके थे। नमिता का परिवार पूर्व पीएम के साथ इसलिए भी रहता था, क्योंकि उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती थी।

पूर्व पीएम द्वारा गोद ली गईं नमिता की मां वाजपेयी की दोस्त (ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में) और पुरानी साथी रहीं। कॉलेज के बाद वह राजनीति में सक्रिय हुए राजरानी की शादी प्रोफेसर ब्रिज नारायण कौल से हो गई। शादी के बाद कौल दंपति दिल्ली में रहने लगे। पर जब अटल पीएम बने, तो उन्होंने कौल की बेटी नमिता को अपनी दत्तक पुत्री का दर्जा दिया।

वाजपेयी के निधन के तीन माह बाद उन्होंने लुटियंस जोन से निकलने के बारे में सोच लिया था। ‘टीओआई’ के मुताबिक, नमिता ने पीएमओ को लिखी चिट्ठी में यह भी कहा कि एसपीजी सुरक्षा थोड़ी हस्तक्षेप करने वाली थी। सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण कई बार आम लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता था।