नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू को विरोध का सामना करना पड़ा। ‘डीएनए’ के मुताबिक, मंगलवार (28 अगस्त) रात वह जेनएयू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का प्रचार करने पहुंचे थे। मगर कार्यक्रम की शुरुआत में विद्यार्थियों ने उन्हें बोलने ही नहीं दिया। खास बात है कि खांडू के साथ उस वक्त असम के सीएम सर्वानंद सोनोवाल और मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह भी थे। उन्हें भी छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा। हालांकि, काफी हो-हल्ले के बाद तीनों सीएम को कार्यक्रम में अपनी बात रखने का मौका मिला था।

रिपोर्ट के अनुसार, खांडू जैसे ही बोलने वाले थे, उन्हें एक छात्रा ने दखल देते हुए रोक दिया। उसका कहना था कि कोयना हॉस्टल की मेस में आयोजित कार्यक्रम में उत्तर पूर्वी राज्यों के कई विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं करने दिया गया। वह बोली, “नॉर्थ ईस्ट मूल के विद्यार्थियों को यहां आने नहीं दिया गया। यह सही नहीं है।” छात्रा के ये बातें कहने के बाद ही वहां एबीवीपी के कार्यकर्ता भारत माता की जय के नारे लगाने लगे थे।

खांडू ने छात्रा को जवाब दिया, “मैंने अभी बोलना भी शुरू नहीं किया है। मुझे शुरू तो करने दीजिए। हम आपके सवाल बाद में ले लेंगे।” वहीं, कार्यक्रमस्थल के बाहर ढेर सारे विद्यार्थी तख्तियां और बैनर लेकर नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे थे। कई विद्यार्थियों का कहना था कि उन्हें कार्यक्रमस्थल के भीतर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जाने नहीं दिया।

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कोयना हॉस्टल की मेस के बाहर मंगलवार रात यूं छात्र-छात्राओं ने किया प्रदर्शन। (एक्सप्रेस फोटो)

रिपोर्ट्स के अनुसार, कार्यक्रम में तीनों मुख्यमंत्रियों के बोलने के बाद महज दो विद्यार्थियों को सवाल पूछने का मौका मिला। एक सवाल अरुणाचल के छात्र ने खांडू से पूछा। वह बोला, “आप विकास की बात करते हैं, पर शिक्षा का क्या? अरुणाचल के स्कूलों में जब 2017-18 के दौरान 95 फीसदी बच्चे फेल हुए, तब क्या आपकी सरकार अक्षम है? या फिर आप लोग निजीकरण (शिक्षा में) को बढ़ावा दे रहे हैं?”

जवाब में खांडू बोले, “बोर्ड परीक्षाएं हटा दी गईं, जबकि पहले ये पांचवीं और आठवीं कक्षा में भी होती थीं। 2008-2009 और 2015-2016 के दौरान सरकारी स्कूल में जो भी विद्यार्थी पढ़ा, उसे कोई दिक्कत नहीं हुई। मैंने राज्य का प्रभार 2015-16 में संभाला था और तब मैंने ऐलान किया था कि 2017-18 के शैक्षणिक वर्ष में बोर्ड परीक्षाएं पांचवीं और आठवीं कक्षा में वापस लाई जाएंगी। पुराने ग्रेडिंग सिस्टम को भी शुरू किया जाएगा।” यह कहकर वे और दो अन्य सीएम कार्यक्रमस्थल से चले गए थे।