नेपाल में हिंसक प्रदर्शन से स्थिति अस्त व्यस्त हो गई है। नेपाल में चल रहे घटनाक्रम से भारत भी अलर्ट है। भारत, नेपाल के साथ लंबी सीमा साझा करता है। बिहार के रक्सौल को नेपाल के बीरगंज से जोड़ने के लिए भारत-नेपाल फ्रेंडशिप ब्रिज बनाया गया है। यहां पर सशस्त्र सीमा बल की सुरक्षा होती है। पुल से कई लोग रोजाना नेपाल से भारत और भारत से नेपाल आते – जाते हैं। यहां तक की नेपाल के छात्र भारत में कोचिंग और स्कूल पढ़ने के लिए आते हैं।
ट्यूशन पढ़ने आई थी छात्रा लेकिन नहीं जा पाई नेपाल
इसी तरह पुल से नेपाल की रहने वाली 19 वर्षीय चंचला कुमारी ट्यूशन पढ़ने के लिए भारत आई थी। लेकिन जब वह पढ़कर निकलने लगी तो उन्हें बताया गया कि रास्ता बंद हो चुका है। कई लोग रक्सौल सीमा पर फंसे हुए हैं। इनमें ट्रक चालक भी हैं जो व्यापार में शामिल है।
चंचला जब भारत की सीमा में खड़ी थीं तो उनकी एक सशस्त्र सीमा बल के अधिकारी से बहस हो रही थी। अधिकारी कहते हैं, “आप पीछे चले जाएं, यहां खड़े मत होइए।” चंचला कहती हैं, “पीछे कहां जाऊं? वहां तो मेरा कुछ भी नहीं है।” इस बातचीत ने उन कई लोगों की हताशा को उजागर किया जो नेपाल में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच सीमा पर फंसे हुए हैं।
चंचला कुमारी ने अधिकारी को समझाने की कोशिश की और कहा, “मैं नेपाल में रहती हूं। मैं आज सुबह ट्यूशन क्लास के लिए यहां (भारत की तरफ) आई थी। मेरा परिवार दूसरी तरफ रहता है।” चंचला बिहार पुलिस परीक्षा की तैयारी कर रही है। वह कहती है, “हमारा परिवार मूल रूप से सीतामढ़ी का है, लेकिन मेरे पिता भनसार (नेपाल) में बस गए हैं और उनका वहां व्यवसाय है।”
चंचला कहती है कि आज वह ट्यूशन जाने के लिए उत्सुक नहीं थी। वह कहती है, “मेरी मां ने कहा कि सभी लोग पुल से गुजर रहे हैं, जबकि मैं क्लास छोड़ने के बहाने बनाती रही।” आखिरकार चंचला सुबह लगभग 7:45 बजे नेपाल से भारत के लिए पुल पार कर गई और सुबह 9:30 बजे उन्हें बताया गया कि वह वापस नहीं जा सकती।
सीमा पर फंसे ट्रक ड्राइवर
चंचला अकेली नहीं है। भारत में प्रवेश करने वाले कई लोगों को अब बताया जा रहा है कि पड़ोसी देश में जेनरेशन जेड के विरोध प्रदर्शन तेज़ होने के कारण वे तुरंत वापस नहीं जा सकते। कई ट्रक चालक भी इसी तरह रक्सौल लैंड पोर्ट के बाहर इंतज़ार कर रहे हैं। ट्रक चालकों में नेपाल के अमनीशगंज के 24 वर्षीय उमेश गुप्ता भी शामिल हैं। वह कहते हैं, “मैं नेपाल निगम ऑयल के लिए बरौनी (बेगूसराय, बिहार) से नेपाल पेट्रोल लाता हूं।” वह हर डिलीवरी के लिए 2,000-2,500 रुपये कमाते हैं, जिसमें आमतौर पर पांच से छह दिन लगते हैं। वह दो दिनों से भारत में अपने पेट्रोल से भरे ट्रक के साथ फंसा हुआ है। उन्होंने कहा, “मेरे पिता भी भारत और नेपाल के बीच ट्रक ड्राइवर हैं। हम अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। यह जितना लंबा चलेगा, हमें उतना ही ज़्यादा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।”
सीमा के पास चेक पोस्ट 93 पर राशन की दुकान चलाने वाले कमलेश राज कहते हैं, “मैं लगभग एक लाख रुपये (नेपाली मुद्रा) का कारोबार करता था, जो अब पूरी तरह से बंद हो गया है।” वे पिछले तीन सालों से दुकान चला रहे हैं। वे कहते हैं, “सीमा पर स्थित दुकानें ज़्यादातर नेपाल पर निर्भर हैं, जबकि नेपाल राशन के लिए भारत पर निर्भर है।”