भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भारत-नेपाल सीमा पर तारबंदी करने की मांग की है। उनका कहना है कि भारत और नेपाल के बीच खुले रास्‍तों के चलने नेपाल के लोग यहां घुस जाते हैं। इसके चलते भारत में नक्‍सलवाद की समस्‍या भी बढ़ी है। उन्‍होंने कहा, ‘1950 भारत-नेपाल संधि के चलते हमने नेपाल के लोगों को यहां आने और नौकरी करने की अनुमति दी। इसके बाद से नक्‍सलवाद बड़ा मुद्दा बना है। नेपाल के साथ सीमा पर सुरक्षा कम है, इसके चलते चीन और पाकिस्‍तान जैसे देश व आईएसआई जैसी एजेंसियां इस बात का फायदा उठा रही है। नेपाल में भारत विरोधी भावनाएं पनप रही हैं और यह कश्‍मीर जैसा बन रहा है। हमें पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश सीमा की तरह नेपाल सीमा पर भी तारबंदी करनी चाहिए।’

झारखंड के गोडा से सांसद दुबे ने नेपाल में बढ़ती भारत विरोधी भावनाओं के लिए गांधी परिवार को जिम्‍मेदार ठहराया। उन्‍होंने कहा, ‘1986-87 में राजीव गांधी ने पीएम रहते हुए नेपाल की तीन महीने की नाकाबंदी कर दी। इस दौरान पानी, नमक और तेल भी नहीं जा पाया। 1971 से 1975 के बीच इंदिरा गांधी ने बांग्‍लादेश के मुद्दे पर नेपाल को भरोसे में नहीं लिया। जब सिक्किम हमारे साथ आया तब भी ऐसा ही हुआ। भारत के चीन के 1962 युद्ध के दौरान जवाहर लाल नेहरू ने भी यही किया। इसलिए नेपाल को लगता है कि भारत उसके साथ अन्‍याय करता है।’

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वर्तमान केंद्र सरकार के समय हुई नाकाबंदी के बारे में उन्‍होंने कहा, ‘यह सब दिन में नहीं हुआ। नेपाल हिंदू राष्‍ट्र था जो सेकुलर बन गया। मोदी पहले पीएम हैं जो नेपाल गए। वे नेपाल के साथ अच्‍छे रिश्‍ते चाहते हैं। वहां के लोगों ने भी उनका स्‍वागत किया। लेकिन सालों से खराब हुए रिश्‍तों को दिन में ठीक‍ नहीं किया जा सकता।’

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