शराबबंदी बिहार में रोजाना शराब पकड़ी जा रही है। बिक्री भी हो रही है और इसका सेवन भी लोग कर रहे है। बावजूद इसके बिहार के 89 हजार पुलिस जवान इसी 21 दिसंबर को शराब न पीने और बिक्री न होने देने की फिर से शपथ लेंगे। इस आशय का निर्देश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून-व्यवस्था की समीक्षा के दौरान आलाधिकारियों को दी है। इधर, तेजस्वी यादव को पुत्र समान बताने वाले हम पार्टी नेता जीतनराम मांझी ने ट्वीट किया है कि शराबबंदी की वजह से फंसे गरीब परिवार के जेल में बंद लोगों को रिहा किया जाना चाहिए। जिन्हें मामूली गलती पर जेल में बंद कर दिया गया है। ये लोग अपने परिवार के पालक है। और कई महीनों से जेल में बंद है। नतीजतन गरीब परिवारों के जीवन-यापन पर आफत है।

इससे पहले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी मुख्यमंत्री से शराबबंदी कानून में ढिलाई पर विचार करने का आग्रह कर चुके है। इनके बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता व भागलपुर विधायक अजित शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख शराबबंदी खत्म करने की मांग इस शर्त पर की है कि शराब की कीमत में इजाफा कर चालू किया जाए, ताकि राजस्व की वसूली हो और उन पैसों से राज्य में कारखाने लग सके। अजित शर्मा की बातों का समर्थन करते हुए राज्य सभा सांसद अखिलेश सिंह ने कहा है कि राज्य हित को देखते हुए शराबबंदी कानून को खत्म किया जाना चाहिए।

मसलन शराबबंदी को खत्म करने की मांग चौतरफा उठने लगी है। खासकर तब जब बिहार विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू तीसरे नंबर पर सिमट कर रह गई है। हालांकि बिहार भाजपा के नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे है। मगर एनडीए के घटक हम नेता जीतन राम मांझी कोरोना संक्रमण का शिकार होने के बाद शराबबंदी कानून का ज्यादा शिकार गरीब परिवारों के होने का मुद्दा उछाल मुख्यमंत्री को घेरने की कोशिश की है।

अप्रैल 2016 से शराबबंदी बिहार में लागू है। मगर रोजाना शराब बेची और पी जा रही है और पकड़ी भी जा रही है। भागलपुर के एसएसपी आशीष भारती ने बताया कि शुक्रवार को थाना जगदीशपुर पुलिस ने टाटा 407 मालवाहक पर लदे भूसे की बोरियों के नीचे शराब की खेप पकड़ी है। गाड़ी नंबर जेएएच10एएल0371 को कब्जे में ले 132 कार्टून में रखी 3974 रम शराब से भरी बोतलें बरामद की गई हैं। यह शराब झारखंड से लाई जा रही थी। तस्कर फरार हो गए। एसएसपी के मुताबिक इनका पता लगाया जा रहा है।

यह तो ताजा मिसाल है। रोजाना हजारों लीटर शराब पकड़ी जा रही है। शराब न पीने की शपथ पुलिस के आलाधिकारियों के सामने 89 हजार जवान 21 दिसंबर को 11 बजे दिन में लेंगे। इस आशय का पत्र डीजीपी एसके सिंघल ने आईजी, डीआईजी, ज़िलों के एसएसपी व एसपी को भेजा है। इनमें रेलवे के पुलिस अधिकारी भी शामिल है। शपथ का मसौदा भी भेजा गया है।

याद रहे 4 अप्रैल 2016 को शराबबंदी के साथ सभी पुलिसकर्मियों ने शराब न पीने और बिकी न होने देने की शपथ ली थी। मगर बताते है कि पुलिस कर्मियों की मिलीभगत से ही कानून बेअसर सा है। पुलिस मुख्यालय सूत्रों से मिले आंकड़े के मुताबिक इस साल जनवरी से नवंबर तक 644 पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनिक कार्रवाई की गई है। इनपर शराबबंदी में कोताही , भ्रष्टाचार और कर्तव्यहीनता समेत अन्य आरोप है। इनमें 38 डीएसपी या उनसे वरीय अधिकारी भी है। 85 अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त भी किया गया है।

दिलचस्प बात है कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू करते वक्त जदयू-राजद-कांग्रेस साथ थी। आज कानून खत्म करने की मांग करने वाले अजित शर्मा समेत कांग्रेस के तमाम विधयकों ने भी शराब न पीने की शपथ ली थी। सत्ता बदलते ही नजरिया भी बदल गया? कांग्रेस विधायक अजित शर्मा चुनाव से पहले कोरोना काल के दौरान लाकडाउन में भी शराबबंदी खत्म करने की मांग कर चुके है।