नीट विवाद को लेकर देश में अभी भी बवाल की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस की स्टूडेंट विंग एनएसयूआई ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया है, वो एनटीए के दफ्तर में घुस गई। बड़ी बात यह रही कि विरोध प्रदर्शन के दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने एनटीए के दफ्तर में ताला लगा दिया।
आखिर क्यों हो रहा था प्रदर्शन?
उस प्रदर्शन के दौरान इतना बवाल देखने को मिला कि पुलिस को भी अपनी तरफ से बल का प्रयोग करना पड़ा। इसी कड़ी में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं पर लाठी बरसाई गई, उन्हें खदेड़ने के लिए पुलिस ने काफी सख्ती दिखाई। जानकारी के लिए बता दे कि भारतीय युवा कांग्रेस चाहती है कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अपने पद से इस्तीफा दे दें। उनका आरोप है कि नीट परीक्षा में बड़े स्तर पर धांधली हुई है, 24 लाख छात्रों के साथ धोखा हुआ है। इस धोखे को एक्सपोज करने के लिए ही कांग्रेस की युवा इकाई एनटीए के दफ्तर में घुस गई थी ।अभी के लिए एनएसयूआई के कई कार्यकर्ता जख्मी बताए जा रहे हैं।
धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग
वैसे नीट विवाद के खिलाफ कई संगठनों का विरोध प्रदर्शन इस समय तेज हो चुका है। बुधवार को जेएनयू छात्र संघ की तरफ से प्रोटेस्ट किया गया था। उस संगठन ने जंतर मंतर पर अपना विरोध दर्ज करवाया था। कई विद्यार्थी हिरासत में भी लिए गए, उस प्रोटेस्ट के दौरान सभी कार्यकर्ताओं के हाथ में ‘धर्मेंद्र प्रधान इस्तीफा दो’ जैसे पोस्ट थे। अब खबर यह है कि मोदी सरकार देश के सदन में नीट विवाद को लेकर चर्चा करने को तैयार हो गई है। अभी तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि सदन सुचारू रूप से चल सके, इसलिए विपक्ष की इस मांग को सरकार मान सकती है।
सदन में गूंजेगा मुद्दा
बड़ी बात यह है कि देश में अब एंटी पेपर लीक कानून लागू हो चुका है। यह कानून तो इस साल फरवरी में ही लागू हो गया था, अब उसकी अधिसूचना जारी कर अमलीजामा पहना दिया गया है। इस कानून के तहत पेपर लीक के आरोपी को तीन से पांच साल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। समझने वाली बात यह है कि जो आरोपी इस पेपर लीक रैकेट के साथ सक्रिय रूप से जुड़े होंगे या फिर जो पुराने अपराधी होंगे, उन्हें इस कानून के तहत 10 साल तक की सजा दी जा सकती है। ऐसे संगठित आरोपियों पर एक करोड़ का भारी-भरकम जुर्माना तक ठोका जा सकता है।