देश में ‘स्मार्ट सिटीज’ बनाने पर केंद्र सरकार के जोर के बीच उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली काबीना मंत्री मुहम्मद आजम खां ने आज ‘स्मार्ट गांवों’ के विकास पर ज्यादा जोर देने की जरूरत बताते हुए कहा कि स्मार्ट शहर परियोजना से गांवों से नगरों की तरफ लोगों का पलायन बढ़ेगा।

खां ने यहां संवाददाताओं से कहा कि केंद्र सरकार ने देश में स्मार्ट शहर बनाने की योजना का एलान किया है और इसके लिये विश्व बैंक से मदद मांगी गयी है। लोग गांवों से शहरों में बहुत तेजी से पलायन कर रहे हैं लेकिन नगर की भी अपनी क्षमता होती है। स्मार्ट सिटी परियोजना से पलायन बढ़ेगा, इसलिये मेरा सुझाव है कि स्मार्ट विलेज बनाने पर ध्यान दिया जाए।

उन्होंने कहा ‘‘हम उत्तर प्रदेश के बारे में जानते हैं, बाकी के बारे में तो बादशाह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) जानें, लेकिन यह सच है कि पलायन की वजह से शहरों पर दबाव बढ़ा है। इससे कानून-व्यवस्था खराब होने, बिजली की किल्लत के साथ-साथ सम्पत्ति की कीमतें और किराये की दरें में बेइंतहा बढ़ोत्तरी जैसी दिक्कतें पैदा होती हैं।’’

खां ने कहा कि उनका मानना है कि गांवों में स्कूल, बिजली, पानी तथा अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराकर उन्हें स्मार्ट बनाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा ‘‘क्या आपको नहीं लगता कि लखनऊ, कानपुर या वाराणसी पहले से ही काफी स्मार्ट शहर हैं।’’

स्मार्ट शहरों को लेकर हाल में कोलम्बिया में आयोजित संगोष्ठी में हिस्सा लेकर लौटे नगर विकास मंत्री ने कहा कि सपा सरकार ने मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के विकास के लिये बहुत काम किया है लेकिन ‘बादशाह’ का क्षेत्र होने के बावजूद उसके विकास के लिये केंद्र सरकार से एक पैसा भी नहीं मिला।

खां ने कहा कि प्रदेश की सपा सरकार गांवों के विकास के लिये पहले से ही काम कर रही है और केंद्र सरकार को इसमें सहयोग करना चाहिये। नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण के क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी में एक हद तक कटौती किये जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के साथ योजनाओं में बदलाव नहीं होना चाहिये।

मंत्री ने कहा ‘‘योजनाओं में बदलाव होने से पिछली योजनाओं का काम बीच में ही रुक जाता है। नीति आयोग के गठन के बाद जो पुरानी योजनाएं हैं उनको अपने संसाधनों से पूरा करना राज्यों के लिये सम्भव नहीं होगा। यह राष्ट्रीय अहित हो रहा है। इस तरह की चीजें होने से बहुत बड़े नुकसान का अंदेशा है।’’

उन्होंने कहा कि ‘क्लीन गंगा’ का नारा भाजपा के चुनावी एजेंडे में शामिल था। प्रदेश सरकार ने सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों की स्थापना के जरिये इस नदी को स्वच्छ बनाने के बारे में केंद्र को विस्तृत परियोजना भेजी थी लेकिन केंद्र सरकार ने कहा कि वह इस परियोजना के लिये धन नहीं दे सकती। वह परियोजना की कुल लागत का सिर्फ पांच प्रतिशत हिस्सा ही देने को तैयार है।

खां ने कहा ‘‘राजकोष किसी राजनीतिक दल का नहीं बल्कि आम नागरिक का होता है। अगर हमने पांच प्रतिशत हिस्सा ले लिया तो केंद्र यह भी कहेगा कि उसने मदद की।’’