महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के लिए आज उस समय एक असहज स्थिति पैदा हो गई जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सरकार की स्थिरता उनकी पार्टी का दायित्व नहीं है, हालांकि मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार स्थिर है तथा उम्मीद जताई कि शिवसेना इसमें शामिल होगी।

दूसरी तरफ शिवसेना भाजपा नीत सरकार का हिस्सा बनने के लिए फिलहाल उत्सुक नहीं दिखाई दी और उसने कहा कि 18 दिन पुरानी सरकार की स्थिरता की कुंजी उसके पास है।

रायगढ़ जिले के अलीबाग में पार्टी के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए पवार ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में स्थिर सरकार राकांपा की जिम्मेदारी नहीं है। हमें महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार रहना होगा।’’

वरिष्ठ मराठा नेता ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में वर्तमान स्थिति ऐसी नहीं है जो दीर्घावधि राजनीतिक स्थिरता के लिए उपयुक्त हो। अगर राजनीतिक अस्थिरता जारी रहती है, तो अगले चार से छह महीने में राज्य को चुनाव का सामना करना पड़ सकता है और यह महाराष्ट्र के लिए अच्छा नहीं होगा।’’

फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार स्थिर है, हालांकि वह यह उम्मीद जताते नजर आए कि शिवसेना इस स्थिति में मददगार होगी।
पवार की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नहीं, बिल्कुल नहीं। मेरी सरकार अस्थिर नहीं है। लोगों ने तेज और प्रभावी प्रशासन मुहैया कराने के विश्वास के साथ हमें वोट दिया है तथा हम ऐसा ही कर रहे हैं।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि मध्यावधि चुनाव होगा। कोई पार्टी मध्यावधि चुनाव नहीं चाहती है।’’

शिवसेना के सरकार में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा, ‘‘हमने शिवसेना के साथ बातचीत के दरवाजे बंद नहीं किए हैं। मुझे भरोसा है कि बातचीत होगी तथा इससे कुछ सकारात्मक निकलकर सामने आएगा।’’

पवार के बयान पर शिवसेना ने कहा कि अब इस सरकार की स्थिरता की कुंजी उसके हाथों में है। शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि महाराष्ट्र में नए सिरे से चुनाव नहीं होगा। सरकार को स्थिर अथवा अस्थिर रखने की कुंजी शिवसेना के पास है।’’

एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ के लिए ज्यादा उत्सुक नहीं दिखाई दिए। यह पूछे जाने पर कि मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर क्या शिवसेना सरकार का हिस्सा बनेगी, ठाकरे ने कहा, ‘‘हमने सरकार में शामिल होने के लिए फिलहाल कोई फैसला नहीं किया है। हम समय आने पर स्थिति के अनुसार निर्णय लेंगे। फिलहाल मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि हम एक मजबूत विपक्षी दल बनने के लिए तैयार हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग (भाजपा) हमारे साथ 25 साल थे उन्होंने हमें छोड़ दिया। अब हम आम आदमी के पीछे मजबूती के साथ खड़े होने पर ध्यान लगाएंगे।’’

हाल में महाराष्ट्र में हुए चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति उत्पन्न होने पर राकांपा ने भाजपा की अल्पमत सरकार को बिना शर्त बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी। फिलहाल 287 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 121 विधायक हैं, जबकि राकांपा के 41 विधायक हैं।

पवार की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक सप्ताह पहले ही फडणवीस ने विधानसभा में विवादास्पद विश्वास प्रस्ताव हासिल किया था जहां हंगामे के बीच ध्वनिमत से विश्वास प्रस्ताव पारित हो गया था। खबरों में कहा गया है कि जब प्रस्ताव ध्वनिमत से पास होने के लिए रखा जा रहा था और पारित होने की घोषणा की जा रही थी तब राकांपा विधायक अपने स्थान पर शांत होकर बैठे रहे ।

शरद पवार ने पहले कहा था कि उन्हें संदेह है कि महाराष्ट्र में पहली भाजपा सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पायेगी जबकि उनके भतीजे एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी अल्पमत सरकार के विश्वास मत हासिल करने के तरीके को नामंजूर कर दिया था।

सरकार को समर्थन देने की घोषणा करने के बावजूद राकांपा इस बारे में राज्यपाल को पत्र सौंपकर इसे अंतिम रूप देने से बचती रही है।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता माधव भंडारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘पवार का बयान अप्रत्याशित नहीं है। महाराष्ट्र में जिन लोगों ने पवार की राजनीति को करीब से देखा है, उन्हें कम से कम आज के उनके बयान से कोई आश्चर्य नहीं हो रहा होगा।’’

भंडारी ने कहा, ‘‘हमने राकांपा से कोई समर्थन नहीं मांगा और न ही मदद की अपील की। इसके बावजूद पवार ने अपनी ओर से बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह घटनाक्रम एक महीने से भी कम समय का है। एक महीने से भी कम समय में पवार अपने शब्दों और रुख से मुकर गए हैं।’’
फडणवीस ने रविवार को कहा था कि आठ दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र से पूर्व उनके मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और सरकार में हिस्सेदारी के बारे में शिवसेना से बातचीत के दरवाजे अभी भी खुले हैं।

फडणवीस ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा था, ‘‘शिवसेना से बातचीत के द्वार बंद नहीं हुए हैं। राजनीति में ऐसी बातें कभी नहीं होती। बातचीत संभव है।’’

गौरतलब है कि कुछ खबरों में कहा गया था कि भाजपा की अपने पूर्व सहयोगी शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार बनाने के विषय पर बातचीत शिवसेना के उपमुख्यमंत्री पद और कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालय मांगे जाने के विषय पर टूट गई थी।