महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार में तीनों दलों के बीच आपसी खींचतान की वजह से मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद भी मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा नहीं हो सका था। शनिवार (04 जनवरी) को सीएम उद्धव ठाकरे ने आखिरकार विभागों का बंटवारा करते हुए उसे मंजूरी के लिए गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के पास भेज दिया लेकिन उसी दिन गवर्नर हाउस से मंजूरी नहीं मिल पाने पर गठबंधन दल अब देरी के लिए राज्यपाल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
एनसीपी के सूत्रों ने बताया, “गवर्नर हाउस ने राज्य सरकार को बताया कि कोश्यारी रात में आराम करने चले गए हैं, इसलिए शनिवार को विभागों के बंटवारे वाली फाइल को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। रविवार को राज्यपाल के समक्ष फाइल रखी जाएगी।” हालांकि, ये साफ नहीं हो सका है कि शनिवार को गवर्नर के पास फाइल कब भेजी गई थी।
एनसीपी मंत्री जयंत पाटिल ने एक ट्वीट में दावा किया कि सूची शाम 7.30 बजे कोश्यारी को भेज दी गई थी। जबकि, राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि यह फाइल रात 8-8.30 बजे के आसपास भेजी गई थी। शिवसेना और एनसीपी के शीर्ष सूत्रों ने दावा किया कि फाइल रात 9.45 बजे भेजी गई थी।
इस बीच, राज्यपाल के जनसंपर्क अधिकारी उमेश काशीकर ने कहा, “मुझे इस बारे में नहीं पता और मैं इस पर कोई टिप्पणी भी नहीं करना चाहता हूं।” राज्यपाल के प्रमुख सचिव संतोष कुमार ने किसी भी कॉल और मैसेज का जवाब नहीं दिया।
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सहयोगियों से चर्चा करने के बाद शनिवार को ही सूची राज्यपाल के कार्यालय को भेज दी थी ताकि जल्द से जल्द मंत्री विभाग संभाल लें। सूत्रों ने बताया कि सीएम दफ्तर को उम्मीद थी कि गवर्नर हाउस से तत्काल इस पर फैसला ले लिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जब इस बावत एनसीपी चीफ शरद पवार से संपर्क किया गया तो उन्होंने गवर्नर हाउस से मिली प्रतिक्रिया पर आश्चर्य जाहिर किया। उन्होंने कहा, “यह बहुत आश्चर्यजनक है कि उसी राज्यपाल ने जब आधी रात राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की और तड़के सुबह-सुबह देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार को शपथ दिलाई। अगर ये सूची मंजूर हो जाती तो मंत्री कल से काम शुरू कर देते।”