राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चीफ इकबाल सिंह लालपुरा ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में धार्मिक आधार पर अत्याचार की घटनाएं नहीं है। इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी शामिल हुए थे।
शनिवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी लालपुरा ने ये बातें कही। उन्होंने कहा- “जिस देश में हम रहते हैं डाइवर्सिटी में यूनिटी है। जहां डाइवर्सिटी है…थोड़ा बहुत चलता रहता है”।
एनसीएम चीफ लालपुरा ने आगे कि पिछले सात-आठ बरसों में अगर कुछ घटनाओं को छोड़ दें तो देश दंगा मुक्त रहा है। इस दौरान उन्होंने धार्मिक नेताओं ने अपील की कि वो सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाएं। जनता को योजनाओं के बारे में जानकारी दें। इस कार्यक्रम के बारे में लालपुरा ने ट्वीट कर कहा- “इस अवसर पर अल्पसंख्यकों के विकास हेतु भारत सरकार की योजनाओं की परिचर्चा के साथ परस्पर संवाद एवं सद्भाव का आह्वान किया गया”।
वहीं इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि भारत में किसी भी तरह की तालिबानी मानसिकता को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। नकवी ने कहा कि जो लोग तीन तलाक की सामाजिक बुराई को अपराध बनाने का विरोध करते हैं या केवल मेहरम के साथ हज करने के लिए मुस्लिम महिलाओं पर प्रतिबंध हटाने पर सवाल उठाते हैं, अब महिलाओं की शादी की उम्र के संबंध में संवैधानिक समानता पर हंगामा कर रहे हैं, वे पेशेवर प्रदर्शनकारी हैं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां दुनिया के लगभग सभी धर्मों को मानने वाले भारत में रहते हैं। वहीं दूसरी ओर, देश में बड़ी संख्या में नास्तिक भी गरिमा और समान संवैधानिक और सामाजिक अधिकारों के साथ मौजूद हैं।
इस कार्यक्रम में मोदी सरकार की योजनाओं पर बात करते हुए नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2014 के बाद छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों- पारसी, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और मुस्लिम के करीब पांच करोड़ छात्रों को छात्रवृत्ति दी है।