देश में हाइवे बनाने का जिम्मा उठाने वाली नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास काम पूरा करने के लिए पैसा नहीं बचा है। इसके लिए एनएचएआई ने वित्त मंत्रालय से फंड जारी करने की गुहार लगाई है। अथॉरिटी ने वित्त मंत्रालय से वित्त वर्ष 2019 के 29,663 करोड़ रुपये के बजट आवंटन से ज्यादा पैसा देने को कहा है। यह जानकारी राज्य के मालिकाना हक वाली इकाई के एक अधिकारी ने दी है।

अधिकारी ने बताया कि, बीते एक साल में जमीन की कीमतें बढ़ चुकी हैं। 2016 में हुई नोटबंदी के बाद कुछ समय के लिए राहत थी लेकिन अब वैसा नहीं है। साथ ही, इस बार के बजट के बाद छह महीनों तक टारगेट के हिसाब से ही हाइवे निर्माण हुआ। अगले साल होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए हम इस साल के तय किए लक्ष्य से ज्यादा काम कर लेंगे। लेकिन अब फंड की जरूरत बताई गई है। हमने मांग किए गए पैसे के लिए वित्त मंत्रालय सूचित कर दिया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा लाए गए 2018-19 के बजट में एनएचएआई को सरकार की तरफ से 2 9, 663 करोड़ रुपये मिलने की बात थी। साथ ही 62,000 करोड़ रुपये शेयर बेचकर और अन्य तरीकों से जुटाने को कहा गया था। हालांकि सरकार की तरफ से अथॉरिटी को 71,000 करोड़ रुपए की मंजूरी मिल चुकी है।

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 50 हजार किलोमीटर तक काम पूरा करने का प्लान बनाया है। जिसके लिए करीब $250 बिलियन तक का खर्च आएगा। इस राशि से 2022 तक भारत के हाइवे नेटवर्क को डबल कर दिया जाएगा, जो कि 200,000 कि.मी है। इस वित्त वर्ष तक 6,000 किमी तक हाइवे का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बीते दिनों आए डेटा के मुताबिक, अप्रैल से अक्टूबर तक बिल्डर्स ने 4,830 किमी तक काम पूरा किया है। जोकि 26 किमी प्रतिदिन है।