देश में राष्ट्रीय राजमार्ग की परियोजनाओं की रफ्तार सुस्त है। सरकार ने खुद माना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग की 643 परियोजनाओं में निर्धारित समय सीमा से एक से तीन वर्ष की देरी हो चुकी है। इन परियोजनाओं की कुल लागत करीब चार लाख करोड़ रुपये है।वहीं, एक लाख करोड़ रुपये की लागत वालीं 133 परियोजनाएं विभिन्न कारणों से अब तक शुरू ही नहीं हो पाई हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

गडकरी ने बताया कि 2015-16 के बाद स्वीकृत की गईं 643 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं अपनी निर्धारित समय सीमा को पार कर चुकी हैं। इन निर्माणाधीन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग चार लाख करोड़ रुपये है। इनमें से 301 परियोजनाएं एक वर्ष से कम की देरी, 263 परियोजनाएं एक से तीन वर्ष की देरी, जबकि 79 परियोजनाएं तीन वर्ष से अधिक समय से लटकी हुई हैं। ये परियोजनाएं अब भी विभिन्न निर्माण चरणों को पूरा नहीं कर पाई हैं।

मंत्री ने यह भी बताया कि 133 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं ऐसी हैं जिन्हें आबंटित तो कर दिया गया, लेकिन निर्माण कार्य की औपचारिक शुरुआत के लिए तिथि ही घोषित नहीं हो सकी है। इन लंबित योजनाओं की कुल लागत लगभग एक लाख करोड़ रुपये है। मंत्रालय के अनुसार, इन पर काम शुरू न होने की प्रमुख वजहों में भूमि की उपलब्धता, वन एवं वन्यजीव स्वीकृतियां और अन्य पूर्व-आवश्यक स्वीकृतियां शामिल हैं।

मंत्री ने बताया कि देरी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए ‘भूमिराशि’ पोर्टल, पर्यावरण एवं वन स्वीकृतियों के लिए ‘पर्यावेश’ पोर्टल में सुधार, रेलवे उपरिगामी पुल व भूमिगत पुल के डिजाइन की आनलाइन मंजूरी और राज्यों के साथ समन्वय बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। रेलवे ने भी रेलवे से संबंधित स्वीकृतियों के लिए एक वेब पोर्टल बनाया है।

दस वर्ष में 245 फीसद बढ़ा टोल टैक्स संग्रह

लोकसभा में एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में गडकरी ने बताया कि देश में 10 वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स संग्रह 245 फीसद बढ़ गया है। देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर वित्तीय वर्ष 2015-16 में 17,759.28 करोड़ रुपये का संग्रह किया गया था। जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 तक टोल टैक्स संग्रह 61408.15 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। यह बढ़ोतरी 2.45 गुना है।

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