National Herald Case: नेशनल हेराल्ड अखबार से जुडे़ मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर इन दिनों सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी ने इस सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय पूछताछ कर चुकी है और इसको लेकर भाजपा लगातार कांग्रेस पर हमलावर रही है। इस अखबार की फंडिंग को लेकर पहले भी सवाल उठे हैं और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्र भानु गुप्ता ने नैशनल हेराल्ड को नेहरू और इंदिरा गांधी का मुखपत्र बता दिया था। अपने संस्मरण ‘सफर कहीं रुका नहीं, झुका नहीं’ में उन्होंने दावा किया है कि कैसे अखबार की स्थापना के बाद शुरुआती दिनों में फंड इकट्ठा किए गए थे और पंडित नेहरू कैसे इसके डायरेक्टर बने थे।
यूपी के पूर्व सीएम ने दावा किया कि रफी अहमद किदवई ने तालुकदार परिवारों से धन इकट्ठा किया और उस राशि का एक हिस्सा नेशनल हेराल्ड को दिया गया। गुप्ता ने कहा, “इस वजह से नेहरू ने इस (फंड) कलेक्शन के बारे में किदवई पर कभी आपत्ति नहीं जताई।”
नेहरू के नाम पर सौ शेयर खरीदे गए
गुप्ता कहते हैं, “आचार्य नरेंद्र देव, श्रीप्रकाश, शिव प्रसाद गुप्ता, पुरुषोत्तम दास टंडन और मैंने – शेयर बेच दिए और नेहरू के नाम पर सौ शेयर खरीदे गए ताकि उन्हें इसका डायरेक्टर नामित किया जा सके। कुछ पैसा कांग्रेस से लिया गया था और उसका एक हिस्सा नेहरू और अन्य नेताओं को गिफ्ट में दिए गए मनी बैग से आया था।” चार बार के सीएम रह चुके चंद्र भानु गुप्ता आगे कहते हैं, “जब मैंने उसके लिए पैसे इकट्ठा करना शुरू किया तो कहा गया कि मैं अखबार को अपने कंट्रोल में लेना चाहता हूं, फिर भी मुश्किल समय में मैंने अखबार की मदद की।”
गुप्ता ने लिखा है, “मुझे हैरानी होती है कि नेशनल हेराल्ड को अब नेहरू परिवार की संपत्ति माना जाता है। नेशनल हेराल्ड के लिए फंड कैसे इकट्ठा किया गया, इंक्वायरी कमीशन अगर इसकी जांच करता है तो इस मामले में बड़ा खुलासा होगा। शुरू से ही नेशनल हेराल्ड की नीति नेहरू और उनकी बेटी को बढ़ावा देने की थी।” वह आगे लिखते हैं कि इसके लिए प्रेस की आजादी का मतलब महज नेहरू परिवार की गलत नीतियों की आलोचना करने वालों पर निशाना साधना था।
