आगामी 21 अक्तूबर को होने वाले भागलपुर नाथनगर विधानसभा उपचुनाव के तकरीबन एक सौ मतदान केंद्र बाढ़ से घिरे है। ज़िलाधीश प्रणब कुमार ने यह जानकारी गुरुवार शाम प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी है। हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि अभी चुनाव होने में अठ्ठारह रोज देरी है। तब तक पानी निकल जाने की उम्मीद है। वरना चुनाव कराने के लिए दूसरा इंतजाम करना होगा। वैसे चुनाव की मुक्कमल तैयारी कर ली गई है। प्रेस कांफ्रेंस में एसएसपी आशीष भारती भी मौजूद थे।
उन्होंने बताया कि गंगा का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान से 34 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। मगर भागलपुर के लिए सुकून की बात यह है कि मौसम महकमा की चेतावनी का असर नहीं है। बिहार में अगले तीन दिनों तक बारिश की चेतावनी दी है। एक अक्तूबर को यहां 70.92 मिलीमीटर बारिश हुई थी। दो तारीख को केवल .031 मिलीमीटर बर्षा हुई है। गुरुवार तीन तारीख को बारिश नहीं हुई है। जाहिर है यह चेतावनी बेअसर है।
ज़िलाधीश ने बताया कि बाढ़ की वजह से अब तक चौदह मौतें हुई है। जिनमें आठ जनों की दीवार गिरने से दब कर जानें गई है। ज़िले के सभी सोलह प्रखंडों की 122 पंचायतों के 419 ग़ांव की 492859 आवादी और 93612 मवेशी बुरी तरह से प्रभावित है। नाथनगर विधानसभा क्षेत्र तीन प्रखंड नाथनगर, सबौर, जगदीशपुर प्रखंड का हिस्सा है। यहां कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। मगर यह इलाका बहरहाल बाढ़ के पानी से घिरा है। नतीजतन प्रत्याशियों और प्रशासन दोनों के लिए चुनाव कराना परेशानियों का सबब बना है।
डीएम कुमार ने बताया कि पीड़ितों की सहायता के लिए इक्कीस राहत शिविर और इतने ही चिकित्सा शिविर चल रहे है। 63 जगह सामुदायिक रसोई चल रही है। साढ़े चौदह हजार पॉलीथिन सीट बांटी गई है। सुरक्षा के लिहाज से 164 नावों का परिचालन सरकारी स्तर पर किया जा रहा है। एसडीआरएफ की टीम इलाके में तैनात है। एसडीओ, डीसीएलआर सरीखे वरीय अधिकारी लगातार इलाकों का दौरा कर जायजा ले रहे है। मृतकों को मुआवजा देने की प्रक्रिया चल रही है। शिविर में बच्चों को पढ़ाने के वास्ते शिक्षक प्रतिनियुक्त किए गए है। पशुओं के चारे और चिकित्सा का प्रबंध किया गया है। किसी पीड़ित को दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि रेलवे लाइन पर शरण ले रहे बाढ़ पीड़ित अपने मवेशी छोड़कर जाना नहीं चाहते है। उनकी सुरक्षा के वास्ते पुलिस बल तैनात किया गया है। कच्चे-पक्के मकानों के क्षति होने का आंकड़ा अभी नहीं है। बाढ़ का पानी पूरी तरह निकल जाने के बाद इसके और फसल के नुकसान का सही आंकड़ा सामने आ सकेगा।

