2003 में लंदन में भारत के डिप्‍टी हाई कमिश्‍नर रहे सत्‍यब्रत पॉल के एक लेख से विवाद हो गया है। पॉल ने लेख में दावा किया है कि १२ साल पहले बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जब लन्दन गए थे तो एक तबका पूरी तरह उनके खिलाफ था। फेसबुक पर यह लेख स्पैम में चला गया था। इसे लेकर विवाद होने पर फेसबुक ने सफाई जारी की और लेख को फिर से सोशल साईट पर लाया गया।

पॉल ने दावा किया है कि 2003 में ब्रिटेन यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई थी। न्‍यूज पोर्टल ‘द वायर’ के लिए लिखे लेख में उन्‍होंने मोदी की उस यात्रा के बारे में कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं। पॉल लिखते हैं- वो साल 2003 था। मैं उस समय लंदन में डिप्‍टी हाई कमिश्‍नर था। 2002 गुजरात दंगों के बाद ब्रिटिश मीडिया के तेवर बेहद आक्रामक थे। दंगों में भारतीय मूल के ब्रिटिश मुस्लिम परिवार के सदस्‍यों की मौत का मामला बार-बार उठाया जा रहा था। ऐसे माहौल में गुजराती हिंदू प्रवासियों की ओर से तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को न्‍योता भेजने की खबर आई। इस खबर के आते ही यूके-इंडिया रिलेशन दांव पर लग गए थे।

सत्‍यब्रत ने दावा किया है कि नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के बारे में सुनकर यूके सरकार को गहरा झटका लगा था। ह्यूमन राइट्स ग्रुप, मुस्लिम संगठन मोदी से बेहद नाराज थे। ब्रिटेन सरकार को डर था कि मानवीय मूल्‍यों को लेकर दुनियाभर में उसने जो साख बनाई है, वह खराब हो जाएगी। आनन-फानन में इंडियन हाई कमीशन को नरेंद्र मोदी का दौरा रद्द कराने के लिए कहा गया। हाई कमीशन ने ब्रिटिश सरकार का पैगाम तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक पहुंचाया, लेकिन वह नहीं माने। बकौल सत्‍यब्रत पॉल, वाजपेयी ने कहा था, ‘अगर नरेंद्र मोदी को न्‍योता मिलता है तो उन्‍हें ब्रिटेन जाने देना चाहिए।’ वाजपेयी सरकार के इस फैसले से इंडियन हाई कमीशन के होश उड़ गए थे, क्‍योंकि ब्रिटिश सरकार को मजबूरी में नरेंद्र मोदी को यात्रा की अनुमति देनी पड़ी थी और उनके खिलाफ मानवाधिकार संगठनों, मुस्लिमों का गुस्‍सा सातवें आसमान पर था।

सत्‍यब्रत के मुताबिक, आखिरकार नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर आए। यूके सरकार ने उनका आदर सत्‍कार तक नहीं किया। यात्रा के दो दिन बीत चुके थे और तभी ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने इंडियन कमीशन के अधिकारियों को बुलाकर बताया कि मोदी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है, इसलिए उन्‍हें दौरा खत्‍म कर जल्‍द से जल्‍द ब्रिटेन छोड़ देना चाहिए। उन्‍हें खबर मिली थी कि कुछ वकील मोदी के खिलाफ कोर्ट जाने वाले हैं और अगर अदालत ने गिरफ्तारी का आदेश दे दिया तो सरकार कुछ नहीं कर पाएगी। इंडियन हाई कमीशन ने यह पैगाम नई दिल्‍ली पहुंचाया। अब लंदन से लेकर दिल्‍ली तक घबराहट थी, दोनों देशों के संबंध दांव पर थे, लेकिन किस्‍मत से अदालत ने मोदी के खिलाफ याचिका रद्द कर दी। हालांकि, इसके बाद भी खतरा कम नहीं हुआ था। कुछ संगठनों ने मोदी के ‘सिटीजन अरेस्‍ट’ की तैयारी करना शुरू कर दिया था। ब्रिटेन में नागरिकों को इसका अधिकार है। हालात को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने मोदी के आसपास अदृश्‍य सुरक्षा घेरा बनाया। दौरा खत्‍म होने के बाद नरेंद्र मोदी गुजरात पहुंचे और तब जाकर दोनों देशों के अधिकारियों ने राहत की सांस ली थी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में ब्रिटेन दौरे से लौटे हैं। उनकी इस यात्रा के दौरान असहिष्‍णुता और गुजरात दंगों का जिक्र बार-बार हुआ। खासतौर पर ब्रिटिश मीडिया के तेवर बेहद तल्‍ख थे। साझा प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में एक ब्रिटिश पत्रकार ने तो पीएम मोदी से वीजा बैन पर ही सवाल पूछ लिया था। जिसके जवाब में उन्‍होंने कहा था, ‘मैं 2003 में ब्रिटेन आया था। यूके ने उन पर कभी वीजा बैन नहीं लगाया था। ये बात और है कि अपनी व्‍यस्‍तता की वजह से मैं ही इतने वर्षों तक ब्रिटेन नहीं आ सका था।’ मोदी की इस यात्रा में उनका शानदार स्वागत हुआ। उन्हें ब्रिटिश संसद को संबोधित करने का भी मौका दिया गया। यह मौका पाने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। उन्होनें वेम्बले स्टेडियम में हजारों लोगों को भी संबोधित किया। ब्रिटेन में किसी दुसरे देश के नेता ने पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोगों को संबोधित किया।

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