न्यूयॉर्क। अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय के लोग मैडिसन स्क्वायर गार्डन (एमएसजी) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रविवार को होने वाला संबोधन सुनने के लिए बेहद उत्सुक हैं और वे इसके लिए कुछ भी करने को आतुर नजर आते हैं । जिन लोगों को टिकट नहीं मिल पाया, वे स्वयंसेवी बनने को तैयार हैं ।

अटलांटा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पलक जैन उन हजारों भारतीय-अमेरिकियों में शामिल हैं जो टिकट पाने में विफल रहे ।

जैन ने कहा, ‘‘मैं स्वामी विवेकानंद के समय नहीं थी । मैंने सरदार पटेल को नहीं देखा । पर मैं अपने समय के भारत के महानतम नेता के संबोधन के सीधे प्रसारण को देखने के अवसर से नहीं चूकना चाहती ।’’

करीब 15 साल पहले छात्रा के रूप में भारत छोड़ने वाली जैन ने कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि प्रधानमंत्री की एक झलक देख सकूं, या फिर मैं यह टाइम्स स्क्वायर में देखूंगी ।’’

कार्यक्रम का आयोजन कर रहे इंडो-अमेरिकन कम्युनिटी फेडरेशन (आईसीएएफ) ने कहा कि इस आयोजन का टिकट मांगने के लिए हर दिन उसे समूचे अमेरिका और यहां तक कि कनाडा से भी लोगों से सैकड़ों ई मेल, पत्र और फोन कॉल्स मिल रही हैं।

सभी 18 हजार टिकट हफ्तों पहले बुक हो चुके थे जिनमें से 96 प्रतिशत कंप्यूटराइज्ड ड्रा के बाद नि:शुल्क दिए गए हैं ।

लेकिन लोग 28 सितंबर को होने वाले कार्यक्रम के लिए अब भी आईसीएएफ से टिकट मांग रहे हैं या स्वयंसेवा करने के लिए हजारों डॉलर देने या कार्यक्रम का टिकट पाने के लिए भीड़ को काबू करने का काम करने वाले स्वयंसेवक बनाए जाने जैसी अन्य पेशकश कर रहे हैं ।

आईसीएएफ के अनुसार अमेरिका के 48 राज्यों और कनाडा के पांच प्रांतों से भारतीय अमेरिकी इस आयोजन में शामिल होंगे ।

इनमें ज्यादातार लोग युवा भारतीय अमेरिकी हैं जिनमें काफी संख्या में महिलाएं शामिल हैं । इससे भारतीय समुदाय के लोगों के बीच मोदी की व्यापक लोकप्रियता का पता चलता है ।

मैरीलैंड में रहने वाले भारतीय अमेरिकी डॉ. शंभू एन बानिक ने कहा, ‘‘अपने जीवन के विगत कई दशकों में मैंने किसी अन्य भारतीय नेता के लिए इतनी दीवानगी नहीं देखी ।’’

बानिक 1980 के दशक के शुरू से ही इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई भारतीय प्रधानमंत्रियों के सार्वजनिक स्वागत में समारोह आयोजित करने में अग्रणी रहे हैं ।

डॉ. बानिक ने कहा, ‘‘मोदी हमारे रॉकस्टार हैं । उन्होंने एक रॉकस्टार का दर्जा हासिल कर लिया है ।’’

भारतीय समुदाय ने 80 के दशक के शुरू में जब वाशिंगटन में गांधी के सम्मान में स्वागत समारोह का आयोजन किया था तो उस समय उसने इसमें शामिल होने वालों से 2 अमेरिकी डॉलर का दान मांगा था ।

वाजपेयी के स्वागत समारोह में 10 हजार डॉलर से थोड़ी अधिक राशि खर्च हुई थी जो भारतीय अमेरिकी समुदाय संगठनों की भागीदारी से जुटाई गई थी ।
मैनहट्टन स्थित एमएसजी में मोदी के स्वागत में आयोजित समारोह पर अनुमानत: 15 लाख डॉलर की राशि खर्च होने की उम्मीद है और आयोजक अब तक 20 लाख डॉलर से अधिक जुटा चुके हैं ।

मोदी जब एमएसजी में रिकॉर्ड 18 हजार भारतीय अमेरिकियों की भीड़, सांसदों और कॉरपोरेट नेताओं को संबोधित करेंगे तो अमेरिकी इतिहास में यह पहली बार होगा जब कोई विदेशी राष्ट्र प्रमुख इतनी बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करेगा ।

एमएसजी आम तौर पर रॉकस्टार्स और खेलों के लिए बुक रहता है ।

तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा अब तक एकमात्र ऐसे विदेशी नेता हैं जिन्होंंने एमएसजी में खचाखच भरी भीड़ को संबोधित किया है, लेकिन वह राष्ट्र प्रमुख नहीं हैं ।

ओवरसीज फ्रेंड्स आॅफ बीजेपी और आईएसीएफ के अध्यक्ष चंद्रकांत पटेल ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर यह मोदी का जादू है । हम :कार्यक्रम के प्रति लोगों के: रूझान से बेहद उत्साहित हैं ।’’

पटेल ने कहा, ‘‘मैं सचमुच मोदी का संबोधन सुनने को उत्सुक हूं । वह लोगों को जवाबदेह बनाकर जिस तरह स्वास्थ्य एवं सफाई और महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं, उससे मैं सचमुच प्रभावित हूं ।’’

दक्षिण कैरोलिना से राकेश गुप्ता नाम के व्यक्ति ने आईएसीएफ को लिखा कि वह और उनकी पत्नी कार्यक्रम में जगह पाने के लिए स्वयंसेवी बनने को तैयार हैं ।

आईएसीएफ के अध्यक्ष डॉ. भरत बराई ने कहा, ‘‘आईएसीएफ द्वारा एमएसजी में आयोजित कार्यक्रम में 18,500 लोग शामिल हो रहे हैं । इसके अलावा 10 हजार से अधिक लोग और इसे देख सकेंगे । अंतिम मिनट में कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हर रोज सैकड़ों आग्रह मिल रहे हैं ।’’