भगवान बुद्ध से भूकम्प प्रभावित नेपाल को शक्ति देने की प्रार्थना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि नेपाल को इस त्रासदी से उबरने में अभी बहुत समय लगेगा लेकिन भारत नेपाल के लोगों के आंसू पोंछेगा और उनके दुख दर्द बांटेगा।

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर उन्होंने कहा- भगवान बुद्ध से प्रार्थना करता हूं कि मेरे पीड़ित भाइयों को बहुत शक्ति दें और बहुत ही जल्द हमारा ये प्यारा भाई ताकतवर बने और शक्तिशाली बन कर हिमालय की गोद में फले-फूले। यहां तालकटोरा स्टेडियम में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आज हम इस उमंग भरे पर्व पर कुछ बोझिल सा भी महसूस करते हैं। इसलिए महसूस कर रहे हैं क्योंकि जिस धरती पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, वह हम सबका प्यारा नेपाल बहुत बड़े संकट से गुजर रहा है। यह यातना कितनी भयंकर होगी उसकी कल्पना करना भी कठिन है और कितने लंबे समय तक नेपाल के इन पीड़ित बंधुओं को इन यातनाओं से जूझना पड़ेगा इसका भी अंदाजा लगाना कठिन है। लेकिन, भगवान बुद्ध ने करुणा का जो संदेश दिया है, उसी से प्रेरित होकर नेपाल के बंधुओं के दुख-दर्द को हम बांटें, उनके आंसुओं को पोंछें और उन्हें भी एक नई शक्ति प्राप्त हो, इसके लिए आज हम भगवान बुद्ध के चरणों में प्रार्थना करते हैं।

मोदी ने कहा कि आज दुनिया युद्धों से जूझ रहा है, मरने मारने पर उतारू है। विश्व का बड़ा भूभाग रक्तरंजित है। इस खूनखराबे में करुणा का संदेश कहां से आए? मरने-मारने पर उतारू लोगों के बीच करुणा कौन लाए, कहां से लाए? रास्ता एक ही है भगवान बुद्ध की करुणा की शिक्षा। अगर युद्ध से मुक्ति पानी है तो यह भगवान बुद्ध के मार्ग से ही मिल सकती है। कभी कभार लोगों को भ्रम होता है कि सत्ता और वैभव से समस्या का समाधान हो जाएगा लेकिन बुद्ध का जीवन इस सोच को नकारता है।

प्रधानमंत्री ने कहा- भगवान बुद्ध राजपरिवार में पैदा हुए, युद्धकला में पारंगत थे। उनके पास सत्ता-संपत्ति सब कुछ थी। लेकिन उन्होंने दुनिया को बताया कि कुछ और भी आवश्यक है। इन सबके परे भी कुछ है। कितनी गहरी आस्था और कितना साहस था कि सब कुछ एक पल में छोड़ दिया। यह घटना बताती है कि इन सबसे परे भी कोई शक्ति है, जो मानव के काम आएगी। अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध के समय भी सामाजिक बुराइयां और भू-विस्तार सहज प्रवृत्ति बन गई थीं और ऐसे समय में उन्होंने त्याग, मर्यादा, करुणा, प्रेम और सामाजिक सुधार की बात की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन सामाजिक बुराइयों पर हम आज भारत में चर्चा कर रहे हैं, भगवान बुद्ध ने ढाई हजार साल पहले उन्हें दूर करने की मुहिम चलाई थी। आज दुनिया यह स्वीकार कर चुकी है कि 21 वीं सदी एशिया की सदी होगी। इस बारे में मतभेद हो सकता है कि यह एशिया के किस देश की होगी। लेकिन एशिया की होगी इसे लेकर कोई दुविधा नहीं है। लेकिन बुद्ध के बिना एशिया की 21वीं सदी नहीं बन सकती है। बुद्ध की शिक्षा एशिया की प्रेरणा और मार्गदर्शक बनेगी।

उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ‘एकला चलो’ में नहीं बल्कि साथ मिल कर चलने में विश्वास रखते थे और बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर भी उनकी इस बात से प्रभावित थे। बुद्ध का समयानुकूल संदेश यही था कि एकला चलो रे से परिणाम नहीं आ सकते हैं, वे संगठन के आग्रही थे और बाबा साहेब आंबेडकर से भी यही मंत्र दुनिया को मिला है, संगठित होने का।