नरेंद्र मोदी सरकार के एक साल के कामकाज को जनता की आकांक्षाओं एवं अपेक्षाओं से दूर एवं निराश करने वाला करार देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक के एन गोविंदाचार्य ने आज कहा कि अभी तक सरकार की दिशा एवं नीतियां स्पष्ट नहीं है और देश के गरीबों, ग्रामीण जनता के लिए अच्छे दिन नहीं आए हैं।
गोविंदाचार्य ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पिछले साल इसी महीने देश में एक अभूतपूर्व राजनैतिक परिवर्तन हुआ जिसमें आजादी के बाद पहली बार जनता ने एक गैर कांग्रेसी सरकार को बहुमत के साथ सत्ता में बिठाया। मोदीजी ने परिश्रम किया और लोगों में उम्मीद जगाई।
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के एक साल पूरा होने के करीब पहुंचने पर अगर हम आकलन करें तो नरेन्द्र मोदी दूसरे नेताओं से अलग लग रहे हों लेकिन उनकी सरकार दूसरी सरकारों की तुलना में अलग नहीं दिख रही है।
गोविंदाचार्य ने कहा, ‘‘अभी तक सरकार की दिशा और नीतियां स्पष्ट नहीं हो पायी हैं, दूसरी ओर विभिन्न मंत्रालयों की नीतियां परस्पर विरोधी प्रतीत हो रही है। इस एक साल में देश के निराश लोगों में आशा का भाव नहीं आया प्रतीत हो रहा है।’’
भूमि अधिग्रहण विधेयक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मोदीजी राजनैतिक रूप से सक्षम व्यक्ति हैं लेकिन वह कैसे उन सलाहकारों के झांसे में आए गए जिन्हें भारत, उसकी प्रकृति और जरूरतों की समझ ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से लोगों को खेती को बढ़ावा देने की बजाए उनकी भूमि लेने की पहल की जा रही है। यह कैसी नीति बनाई जा रही है कि देश के 40 करोड़ लोगों को गांव से उजाड़कर शहरी मजदूर बनने की स्थिति बनेगी। ये सारे सवाल खडे हो गए है।
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए गोविन्दाचार्य ने कहा कि इनके लिए विकास का मतलब केवल बुलेट ट्रेन, स्मार्ट सिटी तक रह गया है। कुछ लोगों के लिए अच्छे दिन आ गए हों लेकिन अच्छे दिन तब माने जायेंगे जब देश के हर बच्चे को भरपेट खाना और बेघर लोगों के सिर पर छत हो।
गोविंदाचार्य ने कहा कि मेक इन इंडिया के बारे में अभी स्पष्ट रूपरेखा सामने नहीं आई है जबकि स्मार्ट सिटी एक जुमला भर है। हालांकि स्मार्ट सिटी में विनाशकारी होने की क्षमता है। इस अवधारणा के अमल में आने से देश के 12 प्रतिशत गांव समाप्त हो जायेंगे और लोग शहरी झुग्गियों में रहने को मजबूर हो जायेंगे, ऐसी स्थिति होगी जैसी ब्राजील में देखने को मिली।
उन्होंने कहा कि उधार लेकर हम देश का जीडीपी थोड़ा बढ़ा लेंगे, कुछ कंपनियों को फायदा हो जायेगा लेकिन समाज के अंतिम पायदान पर बैठे लोगों को फायदा नहीं होगा।
कालाधन के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं। इस विषय पर एक कार्यबल का गठन किया गया था, जिनसे कुछ सिफारिशें की गयी थीं लेकिन इन्हें लागू नहीं किया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार को वर्तमान सरकार से कुछ मामलों में बेहतर बताते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि पिछली राजग सरकार संवाद के लिहाज से वर्तमान राजग सरकार से बेहतर थी। वर्तमान राजग सरकार में संवाद की मानसिकता का अभाव है और असहमति को विरोध समझा जाता है।
उन्होंने हालांकि कहा कि अभी सरकार के पास चार साल है, जब वह जनता के विश्वास को जीत सकती है बशर्ते देशी सोच के साथ आगे बढ़े।
