केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से प्रस्ताव दिया गया है कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी जो पुलिस अधीक्षक (एसपी) या उप महानिरीक्षक (DIG) के रूप में अगर केंद्रीय पोस्टिंग पर नहीं आते हैं, तो वो अधिकारी अपनी बाकी की बची सेवा में केंद्र में पोस्टिंग पाने से वंचित रह सकता है। माना जा रहा है कि इस कदम को लेकर कई राज्य सरकारें अपना विरोध जता सकती हैं।

दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से इससे पहले अखिल भारतीय सेवा नियमों में बदलाव करने को लेकर राज्यों को एक प्रस्ताव भेजा गया था। जिसमें कहा गया था कि किसी भी IAS, IPS या भारतीय वन सेवा के अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार को राज्य की मंजूरी की जरूरत नहीं रह जाएगी। इस प्रस्ताव का भी गैर-भाजपा शासित राज्यों ने विरोध किया था।

वहीं अब केंद्र ने एसपी या DIG के रूप में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं आने पर अधिकारी को आगे की पूरी सर्विस में केंद्र में पोस्टिंग पाने से वंचित रखने का प्रस्ताव दिया है।

बता दें कि मौजूदा समय में जो नियम हैं उसके मुताबिक अगर कोई आईपीएस अधिकारी तीन साल तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर महानिरीक्षक (IG) स्तर तक सेवा नहीं देता है, तो उसे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पैनल में शामिल नहीं रखा जाएगा। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मौजूदा नियमों के चलते कई आईपीएस अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आईजी स्तर पर ही आते हैं। इसकी वजह से एसपी और डीआईजी स्तर पर भारी कमी हो जाती है।

गौरतलब है कि नया प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजा गया है। केंद्र ने इस प्रस्ताव को एसपी और डीआईजी स्तर पर अधिकारियों की कमी को दूर करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केंद्रीय पुलिस संगठनों में इन दोनों स्तरों पर 50 प्रतिशत से अधिक रिक्तियां हैं।

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मौजूदा नियमों के कारण ज्यादातर आईपीएस अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आईजी स्तर पर ही आते हैं, जिससे एसपी और डीआईजी स्तर पर भारी कमी हो जाती है। बता दें कि अधिकांश राज्य केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए एसपी और डीआईजी को राहत नहीं देते क्योंकि उनके पास इन स्तरों पर पर्याप्त रिक्तियां हैं। चूंकि आईजी और उससे ऊपर के स्तर पर कम पद हैं, इसलिए इन अधिकारियों को केंद्र में भेजा जाता है।