Narendra Dabholkar Murder: सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में आज करीब 11 साल बाद फैसला आया है। पुणे में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आरोपी सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को दोषी करार दिया और दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है। हत्याकांड के मास्टरमाइंड समझे जा रहे वीरेंद्र तावड़े, विक्रम भावे और संजीव पुनलेकर को रिहा कर दिया।
तावड़े, भावे और पुनालेकर के बरी होने से हर तरफ इसको लेकर चर्चा हो रही है। साथ ही इस मामले में दाभोलकर का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील और दाभोलकर के बेटे हामिद और मुक्ता दाभोलकर ने कहा है कि वे बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे।
इस मामले का फैसला सुनाते हुए जस्टिस पीपी जाधव ने कहा कि इस अपराध में आरोपियों को गिरफ्तार करने की मंशा साफ दिख रही है। साथ ही उस पर शक करने की भी गुंजाइश है। हालांकि, पुलिस और सरकार तावड़े के खिलाफ इस अपराध को साबित करने में विफल रही है। वहीं, दूसरे आरोपी भावे और पुनालेकर के खिलाफ पुलिस पुख्ता सबूत पेश नहीं कर सकी। इसलिए उन्हें बरी किया जाना चाहिए।
नरेंद्र दाभोलकर की गोली मारकर हत्या
20 अगस्त 2013 को नरेंद्र दाभोलकर की पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर सुबह की सैर के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों से पूछताछ की जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाहों से पूछताछ की। डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के बाद पूरे राज्य में गुस्से की लहर थी। इसके लिए राज्यभर में विरोध-प्रदर्शन होने लगे थे। सरकार के आदेश के बाद पुणे पुलिस ने मामले की जांच की थी। पुणे पुलिस ने जांच के दौरान दो आरोपियों को को गिरफ्तार किया था। लेकिन इन आरोपियों ने जांच कर रहे अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद पुलिस की जांच विवादों में आ गई। 2014 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए।
CBI ने जून 2016 में ENT सर्जन डॉ वीरेंद्र सिंह तावड़े को अरेस्ट किया था। वीरेंद्र तावड़े और अन्य आरोपी हिंदू दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े थे। दावा किया गया कि यह संस्था दाभोलकर के संगठन महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कामों का विरोध करती थी। शूटरों की पहचान को लेकर CBI की जांच पर भी सवाल उठ गए थे। CBI ने अपनी चार्जशीट में सबसे पहले सारंग अकोलकर और विनय पवार को मास्टरमाइंड बताया था।
इन धाराओं के तहत मामला दर्ज
हालांकि, एजेंसी ने बाद में सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर को गिरफ्तार किया। चार्जशीट में दावा किया कि अंदुरे और कलस्कर ने ही दाभोलकर को गोली मारी थी। सीबीआई ने इसके बाद वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को साजिशकर्ताओं का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 बी (साजिश), 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं और यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया। तावड़े, अंदुरे और कालस्कर जेल में बंद हैं जबकि पुनालेकर और भावे जमानत पर बाहर हैं।