प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को दादरा और नगर हवेली पहुंचे। वहां पर उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन उद्घाटन में सबसे अहम नमो चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान रहा जिसे पीएम ने देश को आज समर्पित कर दिया। दादरा और नगर हवेली के विकास में इस मेडिकल इंस्टीट्यूट को मील का पत्थर माना जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे समपर्ति करते हुए इस बात पर जोर दिया है।
NAMO रिसर्च इंस्टीट्यूट की खासियत
पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी मिले कई साल हो गए, लेकिन दादरा और नगर हवेली में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं बन सका। जिन लोगों ने दशकों तक इस देश पर राज किया, अपनी सरकार चलाई, उन्हें यहां के युवाओं की कोई चिंता नहीं थी। पहले ऐसा समझा जाता था कि एक केंद्र शासित प्रदेश का विकास कर कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। लेकिन अब देश की कार्यशैली बदल गई है, जो काम शुरू किया जाता है, उसे समय रहते खत्म करने पर भी जोर रहता है।
जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में नमो चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान की आधारशिला रखी थी। अब चार साल बाद उन्होंने इसका उद्घाटन भी कर दिया है। बताया जा रहा है कि नमो चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान सभी सुविधाओं से लैस है और अवसर के कई दरवाजे खोलता है। इस मेडिकल कॉलेज में लेटेस्ट रिसर्च सेंटर होगा, 24 घंटे खुलने वाली लाइब्रेरी रहेगी, उस लाइब्रेरी में नेशनल से लेकर इंटरनेशनल जर्नल होंगे, एक्सपर्ट मेडिकल स्टाफ रहेगा, स्मार्ट लेक्चर हॉल होगा। इसके अलावा क्लब हाउस की सुविधा भी यहां रहने वाली है और खेल की भी तमाम सुविधा दी जाएगी। अब क्योंकि इस इंस्टीट्यूट को बनाने में काफी मेहनत रही है, ऐसे में पीएम ने अपने दौरे के दौरान उन श्रमिकों से भी मुलाकात की जिनकी वजह से ये प्रोजेक्ट साकार हो पाया।
96 परियोजनाओं का शिलान्यास
वैसे इस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अलावा पीएम ने अपने सिलवासा दौरे के दौरान 4,873 करोड़ की लागत से 96 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उनकी तरफ से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई लोगों को उनके घर की चाबी भी सौंपी गई। इसके बाद पीएम ने गरीबों का ही जिक्र करते हुए कहा कि देश की ऐसी सियासत रही कि यहां पर कई दशकों तक कमजोर तबके को नजरअंदाज किया गया। इस बारे में उन्होंने कहा कि पहले प्रोजेक्ट की घोषणा ये कहकर होती थी कि कहां से वोट मिलेगा। इसी वजह से कमजोर आवाज वाले आभाव में रह गए और विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए। पीएम ने जोर देकर कहा कि अब सभी को अधिकार मिलता है. अगर किसी गरीब या आदिवासी तबके के बच्चे को भी डॉक्टर बनना है तो वो अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ सकता है।