UP Nameplate Controversy: उत्तर प्रदेश में कावड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों को नाम प्रदर्शित करने के यूपी सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई है। इस मामले में कोर्ट के समक्ष यूपी सरकार ने सफाई भी दी है लेकिन आज इस मुद्दे पर सुनवाई में कोर्ट ने इस आदेश पर रोक जारी रखी है। वहीं उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की सरकार ने मामले पर जवाब देने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा है। इस नेमप्लेट विवाद के बीच अब नया मुद्दा हलाल और झटका मांस को लेकर चर्चा में आया है। सुप्रीम कोर्ट में मांग की गई है कि कोर्ट आदेश दे कि रेस्टोरेंट्स इस बारे में जानकारी दें कि जो मीट वे परोस रहे हैं, वह झटका है या हलाल।

दरअसल, हलाल और झटका मांस परोसे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में उत्तर प्रदेश उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को यह आदेश देने की मांग की गई है कि वे अपने यहां स्थित भोजनालयों, रेस्तरां, सहित खान-पान की सभी दुकानों को यह साफ-साफ उल्लेख करने का निर्देश दें कि उनके यहां परोसा जा रहा मांस किस प्रकार का है।

याचिकाकर्ता ने दलित समुदाय का उठाया मुद्दा

सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में कहा गया कि यूपी-एमपी और उत्तराखंड को यह आदेश जारी करना चाहिए कि झटका मांस का विकल्प नहीं देना वाला रेस्टोरेंट संविधान के अनुच्छेद 17 और अनुच्छेद 19 (1)G और अनुच्छेद 15 का उल्लंघन माना जाएगा। याचिकाकर्ता ने कहा है कि झटका मांस नहीं देने से पारंपरिक रूप से हशिए पर रहने वाला दलित समुदाय काफी प्रभावित होता है, क्योंकि वह मुख्य तौर पर मांस का ही ही व्यापार करता है।

क्या होता है हलाल और झटका?

हलाल और झटका को लेकर बता दें कि यह जानवर को काटने का तरीका होता है। अरबी शब्द हलाल का मतलब जायज होता है। इस्लाम में माना जाता है कि इसी तरह से काटे गए जानवर का मीट खाना सही है। इस तरीके में जानवर को बहुत ही अलग तरीके से काटा जाता है। इसमें जानवर की गर्दन की नस और सांस लेने वाली नली को काट दिया जाता है। इस दौरान जानवर के खून के बाहर निकलने का इंतजार किया जाता है, जबकि झटके में जानवर को एक ही झटके में मार दिया जाता है।

झटका को लेकर बता दें कि इसमें पहले जानवर को बेहोश किया जाता है और उसे काटने से पहले कुछ भी नहीं खिलाया जाता है और भूखा ही रखा जाता है और फिर एक झटके में ही जानवर को काट दिया जाता है। इस मामले में एक अहम बात फूड अथॉरिटी के नियम को लेकर भी है, जो यह बताता है कि किसी भी जानवर को मारने से पहले उसे बेहोश नहीं किया जा सकता है।