ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि सूर्य नमस्कार के कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय के बच्चों को शामिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि सूर्य की उपासना करना इस्लाम धर्म के मुताबिक सही नहीं है। बोर्ड के महासचिव मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने यह भी कहा कि सरकार को इससे जुड़ा आदेश वापस ले धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करना चाहिए।

INDIA TODAY की खबर के मुताबिक- मौलाना रहमानी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है। इन्हीं सिद्धान्तों के आधार पर हमारा संविधान बनाया गया है। संविधान हमें इसकी अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षा दी जाए। या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित हो। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार इस सिद्धांत से भटक रही है। वो देश के सभी वर्गों पर एक समुदाय की सोच और परंपरा को थोप रही है।

रहमानी के अनुसार- भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर 30 राज्यों में सूर्य नमस्कार की कराने का निर्णय किया है, जिसमें 30 हज़ार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है। इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं। सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे। सरकार देश-प्रेम की भावना को उभारने हेतु बच्चों से राष्ट्रगान पढ़वाए, वो बेहतर है।

शिक्षा मंत्रालय ने 16 दिसंबर, 2021 के अपने एक पत्र के माध्यम से कहा है कि आजादी का अमृत महोत्सव के बैनर तले राष्ट्रीय योगासन खेल परिसंघ ने फैसला किया है कि एक जनवरी से सात फरवरी, 2022 तक 75 करोड़ सूर्य नमस्कार की परियोजना चलाई जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि 26 जनवरी, 2022 को सूर्य नमस्कार पर संगीत कार्यक्रम की योजना भी है।