तीन बार तलाक के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर इसे खत्म किया गया तो मर्द अपनी पत्नी से छुटकारा पाने के लिए उसे जलाकर मार सकता है या फिर उसका कत्ल कर सकता है। बोर्ड ने कहा, ‘अगर कपल के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ तो फिर वह साथ ना रहने का फैसला कर लेंगे। ऐसे में वे अलग होने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाएंगे तो उसमें काफी वक्त लग सकता है। ऐसी स्थिति में पति गैरकानूनी तरीके को अपना सकता है। उसमें कल्त करना, जिंदा जला देना जैसे आपराधिक तरीके शामिल हैं।’ ये बात बोर्ड ने शुक्रवार (2 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में कही। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का आधार बनाकर तीन बार तलाक कहने के मुद्दे पर सुनवाई शुरू हुई थी। उसी बात को लेकर अब बोर्ड ने अपना जवाब दिया है। कई महिलाओं का कहना था कि पुरुष तलाक के जरिए उन्‍हें प्रताडि़त करते हैं।

शुक्रवार(दो सितम्‍बर) को मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने कहा कि तीन बार तलाक कहने की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं ले सकता। बोर्ड ने कहा, ‘पति को तीन बार तलाक कहने की इस्‍लाम में अनुमति है, क्‍योंकि वे निर्णय लेने की बेहतर स्थिति में होते हैं और जल्‍दबाजी में ऐसा नहीं करते। एक धर्म में अधिकारों की वैधता पर कोर्ट सवाल नहीं उठा सकता। कुरान के अनुसार तलाक से बचना चाहिए लेकिन जरुरत होने पर इसकी अनुमति है।’

बोर्ड की तरफ से दलील दी गई कि तलाक की कानूनी प्रक्रिया अपनाने से महिला की दूसरी शादी होने में भी परेशानी आ सकती है। बोर्ड ने कहा कि पति महिला को कोर्ट में गलत चरित्र वाली बता सकता है। बोर्ड की ओर से दिए गए एफिडेविट में कहा गया कि यह एक मिथक है कि तलाक के मामले में मुस्लिम पुरुषों को एकतरफा ताकत मिली होती है। साथ ही इस्‍लाम जब बहुविवाह प्रथा की अनुमति देता है तो यह उसको प्रोत्‍साहित नहीं करता। इस मामले में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्‍यक्षता वाली बैंच ने सुनवाई की। इस मामले में कई महिलाओं ने याचिका दायर की है। इनमें से एक हैं इशरत जहां। इशरत को फोन पर तलाक दे दिया गया था।