Munshi Premchand Quotes, Stories, Biography, Books in Hindi: हिंदी साहित्य का जिक्र महान कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के बिना अधूरा है। 31 जुलाई, 1880 को बनारस के लमही गांव में जन्मे मुंशी प्रेमचंद का असली नाम धनपतराय श्रीवास्तव था। लेकिन अपने पहले ही उपन्यास सोज-ए-वतन से उन्होंने कई रूढ़िवादियों और उस दौर में तत्कालीन सरकार को नाराज कर दिया था। यही वजह थी कि हमीरपुर के जिला कलेक्टर ने उन पर जनता को भड़काने का आरोप लगाते हुए उनके उपन्यास की प्रतियां जला दीं थी। इस घटना के बाद से ही धनपतराय ने मुंशी प्रेमचंद के छद्म नाम से लिखना शुरु कर दिया था, जो बाद में उनके असली नाम से भी ज्यादा प्रसिद्ध हुआ।
यूं तो मुंशी प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों का कई भाषाओं में अनुवाद हुए और कुछ पर तो फिल्में भी बनायी गईं। लेकिन ये कम ही लोग जानते हैं कि जिन मुंशी प्रेमचंद की लेखनी के लाखों दीवाने हैं, उनकी रचनाओं पर बनी 2 फिल्में बुरी तरह से फ्लॉप हो गईं थी। मुंशी प्रेमचंद की एक रचना पर साल 1933 में फिल्म निर्देशक मोहन भावनानी ने एक फिल्म बनायी, जिसका नाम था ‘मिल मजदूर’।
हालांकि निर्देशक ने इस फिल्म की कहानी में कुछ बदलाव किए, जो मुंशी प्रेमचंद को पसंद नहीं आए थे। इसके बाद साल 1934 में मुंशी प्रेमचंद की कृतियों पर ही आधारित फिल्में ‘नवजीवन’ और ‘सेवासदन’ बनायी गईं। हालांकि ये दोनों ही फिल्में फ्लॉप रहीं। मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं पर आधारित कुछ फिल्म सीरियल्स भी बनाए गए, जिन्हें लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया।
अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी मुंशी प्रेमचंद की कहानियों को कहने की कोशिश की जा रही है। जी न्यूज डिजिटल पर मुंशी प्रेमचंद की कहानियों ‘जुलूस’ और ‘अंधेर’ पर पहले ही 2 सीरीज आ चुकी हैं। मुंशी प्रेमचंद ने जिस तरह से समाज के दबे-कुचले और शोषित वर्ग को अपनी कहानियों का केन्द्र बनाया, यही वजह है कि मुंशी प्रेमचंद ने समाज के बड़े तबके के साथ ही सिनेमा, साहित्य के लोगों को भी खूब आकर्षित किया।
ये प्रेमचंद की शख्सियत का ही असर था कि उनकी दूसरी पत्नी शिवरानी देवी मुंशी प्रेमचंद के चलते ही साहित्य की ओर उन्मुख हुईं और प्रेमचंद के साथ बिताए समय को एक किताब के रुप में ढाला। इस किताब से मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व के बारे में काफी जानकारी मिलती है। 8 अक्तूबर, 1936 को मुंशी प्रेमचंद का बीमारी के कारण निधन हो गया और इसके साथ ही हिंदी साहित्य का एक चमकता सितारा भी हमेशा के लिए हमसे दूर चला गया।
हालांकि आज भी मुंशी प्रेमचंद अपनी रचनाओं के माध्यम से युवा हिंदी साहित्यकारों को प्रेरित कर रहे हैं। आज भी जब हिंदी साहित्यकारों की बात होती है तो मुंशी प्रेमचंद हमेशा शीर्ष पंक्ति में नजर आते हैं।

