परिसीमन के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों के करीब दो दर्जन से ज्यादा निगम पार्षदों की सांसे फूलने लगी हैं जबकि कईयों की बांछे खिल गर्इं हैं। जिनकी सांसे फूल रहीं है उनकी सीट पूरी तरह से बदल दी गर्इं हैं। वे नई सीट पर जाएंगे तो वहां पहले से दावेदार से उनका मुकाबला तय है। हालांकि अभी भी गेंद पूरी तरह से चुनाव आयोग के पाले में ही है। आयोग आरक्षण में कौन सा फार्मूला अपनाता है इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। फायदे में वही रह सकते हैं जो बीते पांच सालों में जनता के बीच रहकर जनोपयोगी कार्यों को पार्टी और सीटों से अलग हटकर भी अमलीजामा पहनाया है। परिसीमन के फेर में मौजूदा समय में जो बड़े नेता घाटे और फायदे की लपेट में आए हैं उनमें विपक्ष के नेता मुकेश गोयल और फरहाद सूरी, मेयर श्याम शर्मा, पूर्व स्थाई समिति अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा, पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, पूर्व अध्यक्ष स्थाई समिति राजेश गहलौत, मोहन भारद्वाज, पूर्व अध्यक्ष, मध्य जोन खविंद्र सिंह कैप्टन, पूर्व मेयर अन्नपूर्णा मिश्रा व रजनी अब्बी, उपमेयर राज कुमार ढिल्लो, अध्यक्ष सिविल लाइंस जोन रामकिशन वंशीवाल सहित कई नाम हैं।
परिसीमन के बाद नगर निगमों के वार्डों की सूरत बदलने के साथ ही पाषर्दों की तकदीर भी बदल गई है। किसी वार्ड से उनका नाम छिन गया है तो कहीं वार्ड ही खत्म कर दिया गया। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में करीब दस पाषर्दों की सीटें खत्म कर दी गई हैं। इनमें निगम में विपक्ष के नेता फरहाद सूरी, स्थाई समिति के पूर्व अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा, निगम के डीडीए के सदस्य एम नागराजन, शिक्षा समिति की अध्यक्ष मीनू पवार, उच्च अधिकार प्राप्त समिति की अध्यक्ष कुसुम खत्री शामिल हैं। उन पाषर्दों के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं जिनके वार्ड के नाम तो नहीं बदले लेकिन उनका क्षेत्र पूरी तरह से बदल गया है।
उत्तरी निगम में विपक्ष के नेता मुकेश गोयल का आदर्शनगर सीट पूरी तरह से बदल गई है। उनके वार्ड में करीब 14 मतदान केंद्र जोड़ दिए गए हैं। चार बार से कांग्रेस पार्षद गोयल इस संकट से उबरने के रास्ते तलाश रहे हैं। जबकि दक्षिणी दिल्ली निगम में विपक्ष के नेता फरहाद सूरी का सीट अब दरियांगज बन गया है। सूरी अब रोटेशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कौन सीट महिला की होगी और कौन आरक्षित इसे देखने के बाद ही फैसले लिए जाएंगे। दो बार से जीत रहे रामकिशन वंशीवाल का भलस्वा जहांगीरपुरी सीट बदल दिया गया है। उन्हें अब मुकंदुपुर या खादीपुर में अपना भाग्य आजमाना पड़ेगा। इसी तरह खर्जीनगर से पूर्व मेयर रजनी अब्बी, नरेला से पूर्व अध्यक्ष मोहन भारद्वाज भी अब परिसीमन के फेरे में फंसे हैं। दक्षिणी दिल्ली के पार्षद एम नागराजन की सीट खत्म हो गई है। इसी सीट से मौजूदा पार्षद और पूर्व मेयर खुशी राम अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। आरके अब मुनीरका हो गया है। यहां नानकपुरा वार्ड खत्म कर दिया है जहां से स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा पार्षद हैं।


