मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं। परिजनों का आरोप है कि मुख्तार अंसारी को धीमा जहर दिया जा रहा था। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट सामने आई है। पुलिस ने मुख्तार अंसारी के विसरा को जांच के लिए लखनऊ की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा है। इससे मौत की सही वजह का पता चल सकेगा। आखिर विसरा रिपोर्ट क्या होती है और इससे मौत के असली कारणों का कैसे खुलासा होता है, विस्तार से समझते हैं।
क्या होती है विसरा जांच?
किसी की मौत होने के बाद पुलिस मौत की वजह पता करने के लिए पोस्टमार्टम कराती है। कई बार पोस्टमार्टम से भी हत्या के असली कारणों का पता नहीं चलता है। ऐसे में उसकी विसरा जांच कराई जाती है। इसमें मरने वाले के शरीर से विसरल पार्ट यानि आंत, दिल, किडनी, लीवर आदि अंगों का सैंपल लिया जाता है, उसे ही विसरा कहा जाता है। विसरा की जांच कर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि मौत कैसे हुई और मौत की वजह क्या थी? इस जांच में मौत का वक्त, मौत का बताया गया वक्त, शरीर के अंदरूनी अंगों का रंग, नसों की सिकुड़न, पेट में मिलने वाले खाने के अवशेष आदि बहुत अहम होते हैं। इसलिए विसरा जांच में मौत का कारण साफ पता चल जाता है।
कैसे होती है विसरा की जांच?
विसरा में मरने वाले के शरीर के भीतरी अंग जैसे छाती, पेट के भीतर के अंगों की अच्छी तरह से जांच की जाती है। ये अंग सेंट्रल कैविटी में मौजूद होते हैं। किसी भी मामले के लिए विसरा परीक्षण के नमूने रासायनिक परीक्षण के लिए एकत्र किए जाते हैं। इसे पोस्टमॉर्टम के 15 दिनों के भीतर किया जाना होता है। फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं को खून, वीर्य, दाग और अन्य की रिपोर्ट प्रदान करके ऐसी किसी भी अपराध की जांच में वैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए कहा जाता है। कई बार मौत के लिए हार्ट अटैक, अस्थमा का अटैक, हाई ब्लडप्रेशर वगैरह को कारण बता दिया जाता है, लेकिन बाद में विसरा रिपोर्ट से पता चलता है कि मौत की असली वजह केमिकल, खाने-पीने की चीज या फिर कुछ और ही है।
कौन करता है जांच?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट को जहां डॉक्टर तैयार करते हैं वहीं विसरा की जांच केमिकल एक्जामिनर करते हैं। इसमें कई तरह के केमिकल टेस्ट किए जाते हैं। इसमें यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि क्या शख्स की मौत किसी जहरीने पदार्थ के खाने से हुई है या नहीं। फॉरेंसिक साइंस के विशेषज्ञों की देखरेख में होने वाली इस रिपोर्ट का कानून मान्यता भी हासिल है। विसरा रिपोर्ट में अगर मरने वाले के शरीर में किसी भी तरह का जहर या केमिकल मिलने की पुष्टि होती है तो मामले की जांच कर रही पुलिस या कोई अन्य जांच एजेंसी उसे नैचुरल डेथ घोषित नहीं कर सकती है।