केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने देश में जारी खाने के विवादों को लेकर कहा है कि कौन क्या खाएगा या क्या नहीं, ये बताना सरकार का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग देश में मौजूद शांति को पचा नहीं पा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने द इकॉनोमिक टाइम्स के साथ बात करते हुए ये बातें कहीं। हिजाब मुद्दे पर नकवी ने कहा कि यह विवाद मुस्लिम लड़कियों को मुख्यधारा की शिक्षा से दूर रखने के लिए पैदा किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन संस्थानों का ड्रेस कोड होना चाहिए और इसका पालन भी ​​किया जाना चाहिए।

आगे मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने की कोई जरूरत नहीं है। प्रार्थना की प्राथमिकता शांति को बढ़ावा देना होना चाहिए न कि दहशत को। वहीं खाने को लेकर जारी विवाद पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोगों को क्या खाना चाहिए या नहीं, यह तय करना सरकार का काम नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में हर नागरिक को अपनी पसंद का खाना खाने की आजादी है।

देश में जारी हिंसा को लेकर जब नकवी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- “देखिए, भाईचारा, सांप्रदायिक सौहार्द, सहिष्णुता भारत के डीएनए में है। अनेकता में एकता भारत की ताकत है। दुनिया के सभी धर्मों के लगभग सभी अनुयायी हमारे देश में शांति से रहते हैं। कुछ हाशिए के तत्व, जो देश में शांति और समृद्धि को पचा नहीं पा रहे हैं, भारत की समावेशी संस्कृति और प्रतिबद्धता को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। लेकिन ऐसे तत्व अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं होंगे। समाज में सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”

अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जो लोग भारत को अल्पसंख्यकों के बारे में सिखाने की कोशिश करते हैं, उन्हें पहले विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच के अंतर को देखना चाहिए। उन्होंने कहा- “पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी विभाजन के समय 23% थी, जो घटकर 2% से कम हो गई है। जबकि भारत में, विभाजन के दौरान अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 9% थी, जो बढ़कर 22% से अधिक हो गई है”।