लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने अध्यक्ष को नारे लिखी हुई तख्तियां दिखाई जिनपर ‘काला कानून वापस लो-ताना शाही बंद करो’ जैसे नारे लगाना शुरू कर दिया। तकरीबन 15 मिनट तक यह हंगामा जारी रहा, जब विपक्ष का हंगामा शांत नहीं हुआ तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष के हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल शुरू कर दिया।

प्रश्नकाल शुरू होने के बाद भी हंगामा और बढ़ गया। इस वजह से लोकसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही 6 बजे तक दो बार स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही शाम चार बजे से फिर शुरू हुई। अध्यक्ष ने हंगामे के बीच सदन में प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की।

केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने चार धाम परियोजना को लेकर सरकार की योजना पर पूछे गए प्रश्न का जवाब देना शुरू किया। पूरक प्रश्न के जवाब में नितिन गडकरी ने इस परियोजना से जुड़ी सड़कों पर आने वाले पैदल श्रद्धालुओं के लिए भी अलग से पैदल मार्ग की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया। इसी दौरान हंगामा और बढ़ गया और लोकसभा अध्यक्ष को सवा चार बजे ही सदन को पहले पांच बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।

गुरुवार को लोकसभा सदन को तीन बार स्थगित करने के बाद देर रात साढ़े आठ बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। हंगामा कर रहे सांसदों में कांग्रेस, द्रमुक और वामदलों के सांसद शामिल थे। हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ने सभी सदस्यों से वापस उनकी सीट पर जाने की अपील की।

उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल में विपक्ष के सांसदों के भी बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं और मैं चाहता हूं कि प्रश्नकाल चले। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपेक्षाओं के साथ सदस्यों को सदन में भेजा है और इस मामले में विपक्ष का व्यवहार उचित नहीं है। अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नकाल के समय में नारेबाजी संसदीय परंपराओं के अनुरूप नहीं है।