मध्य प्रदेश में बीजेपी चौथी बार तो कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आने के लिए चुनाव लड़ेगी। इलेक्शन का रिजल्ट चाहे जो भी हो लेकिन आने वाला फैस्टिव सीजन बुकीज के लिए कुछ एक्स्ट्रा कमाने का जरिया बनता जा रहा है। जहां पार्टी अपना कैंडिडेट फाइनल करने के लिए स्ट्रगल कर रही हैं। सट्टा मार्केट इलेक्शन सीजन में बढ़ रहा है। एक अंग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक सट्टा मार्केट में एमपी में बीजेपी मजबूत स्थिति में दिख रही है। मजबूत स्थिति सट्टा मार्केट के रेट को देखते हुए कहा जा रहा है। सट्टा मार्केट के रेट की बात करें तो बीजेपी पर अगर को 10,000 रुपए लगाता है तो बीजपी के राज्य में जीतने पर उसे 11,000 रुपए मिलेंगे। वहीं अगर कोई कांग्रेस पर 4,400 रुपए लगाता है तो एमपी में कांग्रेस के जीतने पर 10,000 रुपए मिलेंगे। अगर प्रॉफिट देखा जाए तो कांग्रेस में ज्यादा है। वहीं बीजेपी में प्रॉफिट मार्जिन कम है।

हर इलेक्शन में सट्टा मार्केट में करोड़ों रुपया लगाया जाता है। सबसे खास बात तो ये है कि सट्टा केवल फोन पर ही नहीं लगाया जाता है। यह मोबाइल ऐप्लीकेशन और वेबसाइट के माध्यम से भी लगाया जाता है। शायद, यही कारण है कि राज्य में अब तक चुनाव में सट्टेबाजी के लिए रैकेट का कोई केस सामने नहीं आया है, और ऐसा नहीं है कि भोपाल समेत प्रमुख शहरों में लोग सट्टेबाजी में नहीं हैं। भोपाल में सट्टेबाजी के तीन केस रजिस्टर्ड हैं। आम तौर पर देखा जाता है कि सट्टेबाजी के ज्यादातर केस केवल क्रिकेट के ही आते हैं, लेकिन चुनाव के दौरान सट्टेबाज पॉलिटिक्स में शिफ्ट हो जाते हैं।

दरअसल ऑनलाइन सट्टेबाजी रैकेट को पकड़ना कठिन काम है, क्योंकि ऑनलाइन रैकेट तो एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है। ऑनलाइन सट्टेबाजी को तो चलती कार, कैफे या किसी दूसरा पब्लिक प्लेस भी हो सकता है। ऑनलाइन के माध्यम से तो सट्टा रैकेट को देश के किसी भी हिस्से में बैठकर चलाया जा सकता है।