हिमाचल प्रदेश के मलाना में बादल फटने के बाद 5 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज़्यादा अभी भी लापता हैं। भारी बाढ़ के रहते बिजली पूरी तरह से ठप हो गई है। गांवों को जोड़ने वाले रास्ते खत्म हो गए हैं। रेसक्यू अभियान जारी है लेकिन हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं। कुल्लू जिले में मलाना परियोजना का एक बांध टूट गया है। कुल्लू के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) तोरुल एस रवीश ने एक बयान में कहा कि फिलहाल हालात कंट्रोल में हैं और अभियान जारी है।
हिमाचल सरकार ने मानसून से पहले कहा था कि पिछले साल की तबाही के बाद आपदाओं से निपटने के लिए ज़्यादातर तैयारियां कर ली गई हैं, लेकिन प्रदेश के अलग-अलग बांधों पर सुरक्षा के उपाय से जुड़े काम अधूरे दिखाई देते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि बांध का पानी गांवों में सबसे ज़्यादा तबाही मचाता है।
इमारतों में फंसे लोग
मलाना-I परियोजना की भूमिगत इमारतों में लोगों के फंसे होने की खबर मिली थी। प्रशासन ने कहा कि फंसे हुए लोग सुरक्षित हैं और एनडीआरएफ और होमगार्ड की टीमें उन्हें बचाने के प्रयास कर रही हैं। NDRF की एक टीम ने लंबे बचाव अभियान के बाद मलाना से नीचे की ओर स्थित जरी गांव में फंसे लगभग 20 लोगों रेसक्यू कर लिया है।
प्रदेश के इमरजेंसी डिपार्टमेन्ट सेंटर ने जानकारी दी है कि कुल्लू के निरमंड और सैंज इलाकों के अलावा मंडी के पधर और शिमला जिले के रामपुर में भी बादल फटने की घटनाएं हुईं। यहां भी कई घर और पुल बह गए हैं।
क्या कहते हैं गांव के लोग?
सरपारा गांव के एक निवासी ने बताया कि बुधवार रात बादल फटने से आई बाढ़ के बाद उनके परिवार के करीब एक दर्जन सदस्य लापता हो गए हैं। उन्होंने बताया, “रात करीब 1 बजे बादल फटने की आवाज सुनकर हम जाग गए। हर जगह दहशत का माहौल था क्योंकि यह स्पष्ट नहीं था कि क्या हुआ था।”
इस बीच शिमला के डीसी अनुपम कश्यप ने कहा, “बचाव अभियान चुनौतीपूर्ण है क्योंकि सड़कें बह गई हैं।” मौके पर मौजूद शिमला के डीसी और एसपी ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस, पुलिस और होमगार्ड की टीमों ने बचाव अभियान शुरू कर दिया है और लापता लोगों का पता लगाने के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है।