मानसून ने इस बार उत्तराखंड को फिर से प्राकृतिक आपदा की राह पर खड़ा कर दिया है। उत्तराखंड में पिछले दिनों भारी बारिश ने जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि पहाड़ों का तथाकथित विकास इसके लिए जिम्मेदार है। जिस तरह विकास के नाम पर पर्वतीय क्षेत्रों की सड़कों के चौड़ीकरण के लिए पहाड काटे जा रहे हैं, बड़ी परियोजनाओं के नाम पर पेड़ों का कटान हो रहा है उससे पर्वतीय क्षेत्र के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

पहाड़ों में विशालकाय सुरंगों का बनाना, बड़े-बड़े बिजली घर बनाने के लिए जलाशयों का बनना और सुरंग के लिए पहाड़ों में विस्फोट किया जाना, ये सारे कारण पर्वतीय राज्य में लगातार आपदा को न्योता दे रहे हैं। अभी जोशीमठ की आपदा को लोग भूले भी नहीं थे कि इस बार मानसून में भारी बारिश ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है।

चार धाम यात्रा लगातार मई से ही बेमौसमी बारिश के कारण बाधित हो रही है और मानसून शुरू होते ही अब तक चार धामों की 300 से ज्यादा सड़कें संपर्क मार्ग से टूट चुकी हैं। आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में इस बार अब तक मानसून की बारिश पिछले साल के मुकाबले बहुत अधिक हुई है।

वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक अजय पाल का कहना है कि इस समय देखने में आया है कि मानसून के दौरान बीच-बीच में बारिश बहुत तेज होती है और फिर एकhttps://www.youtube.com/watch?v=t9aOsfNobuMदम बंद हो जाती है। यह मौसम का बदलाव है और ग्लोबल वार्मिंग का स्पष्ट प्रभाव।

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि पहले मानसून के शुरुआती और अंतिम चरण में तेज बारिश होती थी परंतु अब पिछले कई सालों से मौसम का मिजाज बदला है। आइआइटी रुड़की के प्रोफेसर सत्येंद्र कुमार मित्तल का कहना है कि उत्तराखंड के पहाड़ अभी शैशव अवस्था में हैं और कच्चे हैं इसलिए इन पहाड़ों पर कोई भी परियोजना शुरू करने से पहले प्रकृति से सामंजस्य बिठाना जरूरी है।

अब तक उत्तराखंड में आई पांच बड़ी आपदाएं

सितंबर 1880 नैनीताल आपदा : नैनीताल के मल्लीताल में पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा गिर जाने से 151 लोग जिंदा दफन हो गए थे जिनमें 108 भारतीय तथा 43 ब्रिटिश नागरिक थे। 20 अक्तूबर 1991 उत्तरकाशी भूकम्प : इस भूकम्प ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था और उत्तरकाशी जिला तबाह हो गया था 6.8 रिक्टर स्केल पर आए इस भूकम्प में 768 लोग सरकारी आंकड़ों के हिसाब से मारे गए थे।

18 अगस्त 1998 पिथौरागढ़ मालपा आपदा: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले में मालपा में पहाड़ी के दरक जाने से मालपा गांव भूस्खलन चपेट में आ गया था जिसमें 255 लोग मलबे में दफन हो गए थे। 1999 चमोली भूकम्प: चमोली में 6.8 रिक्टर स्केल पर भूकंप आया था जिसमें क्षेत्र की सड़कें फट गई थी जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 2013 की केदारनाथ आपदा: उत्तराखंड राज्य की सबसे भीषण आपदाओं में 16 जून 2013 को आई केदारनाथ आपदा है जिसमें हजारों मकान जल प्रलय का शिकार हो गए थे और इस भीषण आपदा ने हजारों लोगों की जान ले ली थी कई लोग बेघर हो गए थे।