सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। यह मानसूत्र काफी अहम रहने वाला है क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करेंगी। इस सत्र के दौरान कुल 19 बैठके होने जा रही हैं और 12 अगस्त तक संसद चलेगी। हर बार की तरह एक बार फिर यह मानसून सत्र काफी हंगामेदार होने जा रहा है। सरकार और विपक्ष के बीच में कई मुद्दों को लेकर मतभेद हैं। ऐसे में किस तरह से संसद का संचालन किया जाएगा, आखिर किस तरह से जरूरी बिल पारित हो पाएंगे, यह मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहने वाली है।

किन मुद्दों पर होगा हंगामा?

असल में वर्तमान में देश में नीट पेपर लीक, रेलवे सुरक्षा और कावड़ यात्रा कुछ ऐसे मुद्दे बन चुके हैं जिस पर सियासत लगातार उबाल मार रही है। एक मुद्दा अगर छात्रों के भविष्य से जुड़ा है तो कावड़ के मुद्दे को धार्मिक और जाति का रंग पहले ही दिया जा चुका है। अब इसी स्थिति को समझते हुए रविवार रात को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी जिसमें बीजेपी, कांग्रेस और दूसरे तमाम दल के बड़े नेता शामिल हुए थे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस की तरफ से गौरव गोगई, बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने उस बैठक में हिस्सा लिया था।

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कौन से हैं निर्णायक विधेयक?

अब जानकारी के लिए बता दें कि कुल 6 विधेयक इस मानसून सत्र में पेश किए जा सकते हैं। जो सूची सामने आई है उसके मुताबिक फाइनेंस बिल, डिजास्टर मैनेजमेंट, बॉयलर्स बिल, भारतीय वायुयान विधेयक, कॉफी प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बिल और रबड़ प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बिल को पेश किया जा सकता है। बड़ी बात यह है कि इसी मानसून सत्र में जम्मू कश्मीर के बजट पर भी चर्चा संभव है और उसे पारित भी करवाया जा सकता है।

लोकसभा में क्या होगा?

दूसरी तरफ लोकसभा के संचालक को लेकर भी स्पीकर और अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय एजेंडा तय कर दिया है। उनकी तरफ से एक बिजनेस एडवाइजरी कमेटी बना दी गई है। उस कमेटी में 14 सदस्य को रखा गया है। बीजेपी की तरफ से निशिकांत दुबे, अनुराग सिंह ठाकुर, भारत हरी मेहताब, पी चौधरी, विजयंत पांडा, संजय जयसवाल जैसे नेताओं को शामिल किया गया है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के के सुरेश, गौरव गोगई,टीएमसी से सुदीप बदोपाध्याय, डीएमके के दयानिधि मारन और शिवसेना यूपीटी के अरविंद सावंत शामिल होने जा रहे हैं।

इकोनॉमिक सर्वे होना है पेश

वैसे सोमवार को संसद में इकोनॉमिक सर्वे भी पेश किया जाएगा। असल में इकोनॉमिक सर्वे समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था की स्थिति की एक विस्तृत रिपोर्ट है। आमतौर पर यह पिछले वित्त वर्ष का लेखा जोखा होता है। यह दस्तावेज़ न केवल सरकार के प्रमुख विकासात्मक कार्यक्रमों की जानकारी देता है बल्कि केंद्र सरकार की नीतिगत पहलों का भी जिक्र करता है । यह पिछले वर्ष के लिए दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। इकोनॉमिक सर्वे में दो हिस्से होते हैं। एक में देश के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियां शामिल होती हैं और दूसरे में बीते वर्ष का विश्लेषण होता है। हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण का आकलन और सिफारिशें केंद्रीय बजट पर डिपेंड नहीं होता है।

इकोनॉमिक सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किया जाता है। वर्तमान में वी. अनंत नागेश्वरन भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं।