खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी के चलते थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर 2020 में बढ़कर 1.32 प्रतिशत हो गई। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ‘मासिक डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर सितंबर में 1.32 प्रतिशत (अंतिम) रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 0.33 प्रतिशत थी।’
थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 0.16 प्रतिशत थी। इससे पहले डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार चार महीनों में नकारात्मक (अप्रैल में नकारात्मक 1.57 प्रतिशत, मई में नकारात्मक 3.37 प्रतिशत, जून में नकारात्मक 1.81 प्रतिशत और जुलाई में नकारात्मक 0.58 प्रतिशत) थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई 8.17 प्रतिशत रही, जबकि अगस्त में यह 3.84 प्रतिशत थी।
समीक्षाधीन अवधि में अनाज की कीमतों में गिरावट आई, जबकि दालें महंगी हुईं। इस दौरान सब्जियों के महंगा होने की दर 36.54 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी। आलू की कीमत एक साल पहले के मुकाबले 107.63 प्रतिशत अधिक थी, हालांकि प्याज की कीमतों में कुछ गिरावट देखने को मिली।
Wholesale Price Index (WPI) inflation, rises to 1.32% for September 2020 as compared to 0.16% in August 2020: Government of India pic.twitter.com/lQtTNiWZ0p
— ANI (@ANI) October 14, 2020
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा था कि कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था में इस वर्ष के दौरान 10.3 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आने का अनुमान है। इस दौरान विश्व अर्थव्यवस्था में 4.4 प्रतिशत की गिरावट और 2021 में 5.2 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि के साथ आगे बढ़ने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
हालांकि, इसके साथ ही आईएमएफ ने कहा है कि 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में संभवत: 8.8 प्रतिशत की जोरदार बढ़त दर्ज की जायेगी और वह चीन को पीछे छोड़ते हुये तेजी से बढ़ने वाली उभरती अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर से हासिल कर लेगी। चीन के 2021 में 8.2 प्रतिशत वृद्धि हासिल करने का अनुमान है।
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक गतिविधियों के मामले में अनुमान में संशोधन भारत के मामले में बड़ा है जहां सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दूसरी तिमाही (अप्रैल- जून, भारत के वित्त वर्ष के मुताबिक पहली तिमाही) के दौरान अनुमान से कहीं बड़ी गिरावट रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवसथा के 2020 में 10.3 प्रतिशत घटने का अनुमान है जबकि 2021 में इसमें 8.8 प्रतिशत वृद्धि के साथ बड़ा उछाल आयेगा।’’ इससे पहले 2019 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रही।
(भाषा इनपुट के साथ)