मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार (12 दिसंबर) को कहा कि सरकार एक प्रबुद्ध शिक्षाविद के नेतृत्व में एक समिति की घोषणा अगले 10 दिनों में करेगी जो मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश करेगी। जावड़ेकर ने कहा कि मंत्रालय राज्यों, शैक्षणिक संस्थाओं, सांसदों और विशेषज्ञों समेत सभी पक्षों के साथ व्यापक चर्चा पहले ही कर चुका है। सहयोग के तौर पर टीएसआर सुब्रमण्यम समिति की सिफारिशों पर भी विचार किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि अगले 10 दिनों में एक प्रबुद्ध शिक्षाविद के नेतृत्व में एक समिति गठित होगी। हम कुछ नामों पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन हमें उनसे भी पूछना होगा कि क्या वे इसके लिए तैयार हैं। क्योंकि उन्हें तीन से चार महीने तक काम करना होगा। उन्होंने कहा कि वे आवश्यक रूप से शिक्षाविद होंगे लेकिन इसमें अन्य संकाय के लोग भी लिए जा सकते हैं। सभी पक्षों और अंशधारकों से सुझाव प्राप्त हुए हैं और इनका मूल्यांकन किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने जोर दिया कि इन बातों और इनकी प्रासंगिकता को देखने के बाद वे नीतिगत बयान पेश करेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में इतना अधिक समय क्यों लग रहा है के सवाल पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि आप एक पीढ़ी के बारे में सोच रहे हैं जब आप 30 वर्षो के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संशोधन कर रहे हैं। पूरी कवायद अगले छह महीने में पूरी हो जानी चाहिए और उसके बाद इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा। शिक्षा नीति 1986 में तैयार होने और 1992 में परिवर्तित होने का जिक्र करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि इसके बाद कई बदलाव किए गए हैं और इसके मद्देनजर संशोधन जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी नीतियां लाना चाहेगी जो शिक्षा की गुणवत्ता, नवोन्मेष और शोध के संबंध में बदलती जरूरतों को पूरा कर सके और छात्रों को कौशल एवं ज्ञान सम्पन्न बनाकर भारत को ज्ञान का सुपर पावर बनाए। इसके साथ ही हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अकादमिक और उद्योग के क्षेत्र में मानव संसाधनों की कमी को दूर करना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने टीएसआर सुब्रमण्यम समिति का गठन किया था जिसे नई शिक्षा नीति तैयार करने का दायित्व सौंपा गया था।
