अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में लॉन्च की गई प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) मोदी सरकार में फंड की कमी का सामना कर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में देश का 70 प्रतिशत रोड नेटवर्क खस्ताहाल अवस्था में पहुंच गया है। इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक योजना के तहत 5.50 लाख किमी रोड नेटवर्क को 1,58,980 बस्तियों से जोड़ा गया है लेकिन 2015 के बाद से इस योजना में फंड की कमी देखी जा रही है।

फंडिंग की कमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीएमजीएसवाई में 70 प्रतिशत रोड डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (डीएलपी) का सामना कर रही है। डीएलपी में कॉंन्ट्रेक्टर को रोड कंस्ट्रक्शन के पांच साल बाद रोड की मेनटेनेंस और रिपेयरिंग करनी पड़ती है, फिलहाल फंड की कमी के चलते ऐसा होता नहीं दिख रहा। वहीं 40 प्रतिशत सड़कें ऐसी हैं जिन्होंने अपनी डिजाइन लाइफ के 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं, इन सड़कों को भी रिपेयरिंग और रिन्यूअल की जरूरत है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि इस योजना में बनाया गया 14 प्रतिशत रोड नेटवर्क ही फिलहाल ठीक स्थिति में है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 15वें फाइनेंस कमीशन से रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के बुनियादी ढांचे की गिरावट को रोकने के लिए अलग से अनुदान की मांग की है। मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि इसके लिए अगले पांच सालों तक करीब 75,927 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। मंत्रालय के अधिकारियों ने इस संबंध में सोमवार को कमीशन के अधिकारियों के साथ बातचीत भी की है जिसमें अतिरिक्त अनुदान की मांग की गई है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की संपर्कविहीन बसाहटों को एकल, बारामासी सड़कों से जोड़ा गया है।पिछले साल केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति ने पूरे देश में ग्रामीण सड़क कनेक्टिविटी को प्रोत्‍साहित करने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-3 को मंजूरी दी थी।