पहले नागरिकता संशोधन कानून फिर राष्ट्रीय नागरिक पंजी. (NRC) और अब एनपीआर यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर पर सियासी घमासान जारी है। विभिन्न राजनीतिक दलों का आरोप है कि सरकार एनपीआर इसलिए लाना चाहती है क्योंकि यह एनआरसी लागू करने की ही एक प्रक्रिया है। विपक्ष का यह भी आरोप है कि एनपीआर में सरकार ऐसी बातें पूछ रही है जिन्हें अधिकतर आबादी नहीं बता पाएगी। ऐसे में सरकार ने एनपीआर में कुछ बदलाव किए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक इस साल एनपीआर के दौरान लोगों को अपने माता-पिता के जन्म स्थान की जानकारी देने के लिए जरुरी छह सवालों को हटा दिया गया है। एनपीआर में लोगों से अतिरिक्त सवाल पूछने पर खासा विवाद हुआ था।
उल्लेखनीय है कि साल 2010 में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने एपीआर लॉन्च किया था। हालांकि अब विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व में इसका विरोध हो रहा है। अब नए एनपीआर फॉर्म में सरकार में 21 सवाल जोड़े हैं जिनमें निवासी का आधार नंबर, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर और मोबाइल नंबर व माता-पिता का जन्म स्थान और निवास का अंतिम स्थान शामिल है। बता दें कि साल 2015 में इसमें आधार नंबर को भी जोड़ दिया गया।
बता दें कि सरकार ने यह नहीं बताया है कि लोगों की गोपनीयता की रक्षा के लिए अतिरिक्त पैरामीटर को बिना किसी निगरानी या वैधानिक नियमों के केंद्रीय गृह मंत्रालय में स्थित डेटाबेस में जोड़ने की मांग क्यों की गई है। एक अधिकारी के मुताबिक ऐसा लगता है कि नए एनपीआर फॉर्म में सभी 21 मापदंडों पर डेटा एकट्ठा किया जाएगा।
