देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की यादों को देश ने आज तक सहेजकर रखा है। लेकिन अब केन्द्र की मोदी सरकार ने जवाहरलाल नेहरु मेमोरियल फंड पर अपनी आंखे टेढ़ी कर ली हैं। बता दें कि सरकार ने जवाहरलाल नेहरु मेमोरियल फंड (JNMF), जो कि नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की इमारत से संचालित होता है, उसे जगह खाली करने का नोटिस दे दिया है। बता दें कि जवाहरलाल नेहरु मेमोरियल फंड की मौजूदा चेयरपर्सन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। 11 सितंबर को आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने जेएनएमएफ को 24 सितंबर तक बिल्डिंग खाली करने का नोटिस दिया था। नोटिस में जेएनएमएफ के प्रशासनिक सचिव डॉ. बालकृष्णनन को संबोधित करते हुए कहा गया है कि जेएनएमएफ ने ‘अनाधिकृत रुप से’ तीन मूर्ति भवन के एक हिस्से पर साल 1967 से कब्जा किया हुआ है।
वहीं JNMF की सचिव सुमन दूबे ने द प्रिंट से बातचीत के दौरान बताया कि तीन मूर्ति भवन में हमने अवैध रुप से कब्जा नहीं जमाया है, बल्कि 51 साल पहले नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) ने हमें प्रक्रिया के तहत तीन मूर्ति भवन में हमें जगह दी थी। हम आधी सदी तक NMML के सहयोगी रहे हैं। यह कोई एकतरफा संबंध नहीं है। उल्लेखनीय है कि बीती 6 जून को NMML की एक एग्जीक्यूटिव मीटिंग हुई थी, जिसमें NMML के निदेशक शक्ति सिन्हा ने तीन मूर्ति भवन में JNMF के अनाधिकृत कब्जे का मुद्दा उठाया था। उन्होंने NMML के लिए जगह की कमी बतायी थी। इसके बाद 14 जून को सिन्हा ने आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर तीन मूर्ति भवन से अनाधिकृत कब्जा हटाने की मांग की थी।
क्या है इतिहासः बता दें कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद तीन मूर्ति भवन में शिफ्ट हुए थे और अपने निधन तक वह यहीं रहे। उनके निधन के बाद तीन मूर्ति भवन को नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में तब्दील कर दिया गया। जहां पंडित नेहरु से जुड़े खत, दस्तावेज आदि संरक्षित हैं। तीन मूर्ति भवन के हिस्से में ही JNMF नामक ट्रस्ट चलायी जाती है। इस ट्रस्ट द्वारा कई फेलोशिप और स्कॉलरशिप प्रोग्राम संचालित किए जाते हैं। हालांकि ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि सरकार जल्द ही एक नई म्यूजिम बिल्डिंग का निर्माण करा सकती है, जिसमें JNMF को भी जगह दी जा सकती है।