अक्सर ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं जब विभिन्न राज्य, केन्द्र सरकार से विकास के लिए पैसे ना मिलने की शिकायत करते देखे जाते हैं। लेकिन इस बार मामला थोड़ा उल्टा है। दरअसल इस बार केन्द्र सरकार को अपनी एक महत्वकांक्षी योजना को पूरा करने के लिए राज्यों को फंड लेने के लिए कहना पड़ रहा है। मामला ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ा है। बता दें कि केन्द्र की मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद ऐलान किया था कि उनकी सरकार साल 2020 तक भारत के ग्रामीण इलाको में रहने वाले सभी लोगों को मकान मुहैय्या कराएगी। सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम दिया गया था। लेकिन हैरानी की बात ये है कि विभिन्न राज्य सरकारों ने इस मद में विभिन्न कारणों से पैसा खर्च करने में ढिलाई बरती है।

ऐसे में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बाकायदा पत्र लिखकर विभिन्न राज्यों को इस योजना के लिए फंड लेने की अपील की है। ग्रामीण आवास योजना के ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रशांत कुमार ने विभिन्न राज्यों को लिखे अपने पत्र में लिखा है कि ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के ठीक प्रकार से क्रियान्वन के लिए पहली शर्त फंड का समय से मिलना है। फंड की कमी के चलते इस योजना के तहत बनने वाले मकानों के निर्माण में रुकावट आ सकती है। इसलिए मैं सभी राज्यों के नोटिस में ये बात लाना चाहता हूं कि राज्यों ने अभी तक प्रपोजल नहीं दिया है। जिसके बिना साल 2017-18 के लिए योजना की दूसरी किस्त जारी नहीं हो पा रही है। यहां ये बताना जरुरी है कि मंत्रालय के पास राज्यों की मांग पूरा करने के लिए काफी धन है।’

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा यह पत्र विभिन्न राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा आदि के ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजा गया है। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि मंत्रालय को विभिन्न राज्य सरकार को पत्र लिखकर फंड लेने की बात की जा रही है। बता दें कि मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत देश में साल 2020 तक 1 करोड़ मकान बनाने का वादा किया था। लेकिन राज्यों की उदासीनता के चलते यह लक्ष्य पाना मुश्किल लग रहा है।

सरकार ने शहरों में भी सभी को आवास मुहैय्या कराने के लिए योजना शुरु की थी, जिसमें साल 2022 तक सभी को मकान देना है। शहरी योजना में तो फिर भी थोड़ी प्रगति दिखाई दे रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में राज्य सरकारों की तरफ से उदासीनता दिखाई दे रही है। बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव भी नजदीक हैं और ये भी एक वजह है कि सरकार विकास कार्यों में तेजी लाना चाहती है, ताकि चुनाव प्रचार के दौरान जनता के सामने अपने विकास कार्य पेश किए जा सकें। रोजगार, महंगाई जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार घिरती नजर आ रही है, यही वजह है कि सरकार विकास के पहिए को थोड़ा तेजी से घुमाने का प्रयास कर रही है।