केंद्र की एनडीए (NDA) सरकार आपातकाल (Emergecny) के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा संविधान में 42वें संशोधन के जरिए शामिल मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) वाले प्रवाधनों को लागू करने की तैयारी में है। इसके लिए मंत्रालयों को जागरूकता फैलाने के लिए कहा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में मंत्रिपरिषद की बैठक के दौरान इस पर चर्चा की गई थी।
संविधान के भाग IV(A) के अंतर्गत अनुच्छेद 51 A में शामिल ‘मौलिक कर्तव्यों’ में संविधान का पालन करने और इसके आदर्शों तथा संस्थानों का सम्मान करने, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान और स्वतंत्रता संग्राम के लिए जिन विचारों ने प्रेरित किया, उनका सम्मान करने वाले प्रावधान शामिल हैं। इसी अनुच्छेद में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने, सद्भाव एवं भाईचारा तथा वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देने और 6 से 14 साल के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराना शामिल हैं। गौरतलब है कि अनुच्छेद 51 A के तहत 11 मौलिक कर्तव्यों में से सिर्फ एक बच्चों के लिए शिक्षा के अवसरों को मुहैया काराने का प्रावधान वाजपेयी सरकार के दौरान 2002 में 86वें संशोधन के जरिए शामिल किया गया।
उल्लेखनीय है कि मौलिक कर्तव्यों का विचार रूस के संविधान से प्रेरित है। 26 नवंबर को आने वाले संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ के जश्न के रूप में मौलिक कर्तव्यों पर जोर दिया जाएगा। इस सप्ताह की शुरुआत में ही सचिव और न्याय विभाग द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसके मुताबिक विभिन्न सरकारी कार्यालयों में संविधान की प्रस्तावना पढ़ने के निर्देश जारी किए गए हैं।
मौलिक कर्तव्यों (शिक्षा को छोड़कर) को 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भाग IV-A में शामिल किया गया था। इस संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को भी शामिल किया गया था। 2015 में विवाद तब बढ़ गया जब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अखबारों में छपे विज्ञापनों में इन दोनों शब्दों (समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष) को शामिल नहीं किया। अनुच्छेद 51-A की अगर व्याख्या की जाए तो मौलिक कर्तव्य वैधिनक नहीं हैं, यानी इसको मानने के लिए कानून बाध्य नहीं कर सकता। इसे कानून द्वारा जबरन लागू नहीं कराया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया है कि एक आधिकारिक नोट के जरिए बताया गया है कि किस कर्तव्य को कौन सा मंत्रालय संभालेगा—
गृह मंत्रालय: संस्थानों का सम्मान, एग्जिक्यूटिव, विधायिका और न्यायपालिका तथा संविधान की गरिमा बनाए रखने का जिम्मा इस मंत्रालय के पास है। वहीं राष्ट्रगान और राष्ट्र-ध्वज का सम्मान यह मंत्रालय सुनिश्चित कराए।
गृह और सामाजिक न्याय था अधिकारिता मंत्रालय: स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों; जिनमें स्वतंत्रता, समानता, अहिंसा, भाईचारा और वैश्विक शांति का पालन कराए
सूचना एवं प्रसारण: इस मंत्रालय के पास भारत की जाति, धर्म, लिंग और भाषाई विभिन्नता के बीच एकता बनाए रखने की जिम्मेदारी है।
गृह और रक्षा: देश की रक्षा और राष्ट्रीय सेवा प्रदान करने की जिम्मेदारी।
गृह और महिला था बाल विकास और संस्कृति: “धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या अनुभागीय विविधताओं को पार करते हुए भारत के सभी लोगों के बीच समान भाईचारे की सद्भाव और भावना को बढ़ावा देना। महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक व्यवहार का त्याग करना
साइंस एंड टेक्नोलॉजी तथा HRD: वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ावा देना